mere sapno ka bharat component in hindi
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अपने देश के प्रति सभी समझदार नागरिकों का अपना एक अलग दृष्टिकोण होता है । वह अपने देश के विषय में चर्चाएँ करता है और चिंतन करता है ।
यहाँ किस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए, समाज का स्वरूप कैसा हो, लोगों को किस हद् तक अपनी परंपराओं एवं प्राचीन विश्वासों का सम्मान करना चाहिए, आधुनिक समस्याओं का देश किस प्रकार निदान करे आदि सैकड़ों बातें हमें उद्वेलित करती रहती हैं ।
अपना देश जिन्हें प्यारा होता है और जितना प्यारा होता है, उसी अनुपात में लोगों के निजी हित गौण होते जाते हैं और राष्ट्रहित सर्वोपरि होता जाता है । जब राष्ट्रहित निजी हित से ऊपर हो जाता है तब राष्ट्र के निर्माण, उसका भविष्य सँवारने के स्वप्नों का सृजन भी आरंभ हो जाता है । मैंने भी अपने राष्ट्र को लेकर कुछ सपने बुने हैं, कुछ निजी विचारों का बीजारोपण किया है ।
हालाँकि राष्ट्र निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन इसमें असंभव जैसा कुछ भी नहीं है । अधिकांश यूरोपीय देशों की संपन्नता तथा जापान जैसे एक छोटे से देश का विश्व आर्थिक क्षितिज पर शक्तिशाली होकर उभरना यह सिद्ध करता है कि यदि देश के सभी लोग किसी लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर कार्य करें तो उस देश का वर्तमान और भविष्य दोनों सुधर सकता है ।
समस्याग्रस्त तो सभी हैं पर उन समस्याओं को देखने तथा उन्हें सुलझाने का नजरिया सबों का भिन्न-भिन्न है । भारत की सबसे बड़ी समस्या लोगों की कर्महीनता है । हम दूसरों को उपदेश देने में प्रवीण हैं, पर स्वयं उसके विपरीत आचरण कर रहे हैं ।
भारत की आत्मा अभी भी जीवंत है लेकिन लोग अधमरे से हैं । मेरे सपनों का भारत उद्यमशील होना चाहिए, अकर्मण्य लोगों को यहाँ कम सम्मान मिलना चाहिए । मगर हम उन लोगों के भाग्य को सराहते हैं जो बिना हाथ-पाँव डुलाए, मुफ्त की रोटी तोड़ रहे होते हैं ।
आजादी के आंदोलन के दौरान गाँधीजी ने लोगों के समक्ष यह बात बारंबार दुहराई थी कि श्रम का सम्मान किए बिना भारत सही मायनों में आजाद नहीं हो सकता । फिर भी ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ वाली हमारी आदत गई नहीं ।
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मेरे सपनों का भारत पर निबंध 4 (500 शब्द)
मेरे सपनों का भारत एक ऐसा देश होगा जहां समानता की स्वतंत्रता अपने वास्तविक अर्थों में मिली है। यह ऐसी जगह होगी जहां किसी व्यक्ति की जाति, पंथ, धर्म, सामाजिक या आर्थिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता हो। मैं इसे एक ऐसे स्थान के रूप में भी देखता हूं जिसने औद्योगिक और तकनीकी क्षेत्रों में तेज़ी से विकास को देखा हो। यहां कुछ ऐसे क्षेत्रों में विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है:
महिला सशक्तिकरण
आज के समय में अधिक से अधिक महिलाएं अपने घरों से बाहर निकल रही हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी एक पहचान बना रही हैं लेकिन फिर भी हमारे देश की महिलाएं आज भी काफ़ी भेदभाव का शिकार होती है। स्त्री भ्रूणहत से लेकर महिलाओं को घरेलू कार्यों में सीमित करने तक अभी बहुत सारे क्षेत्रों में काम करने की आवश्यकता है। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए कई गैर-लाभकारी संगठन आगे आए हैं। हालांकि हमें समाज की मानसिकता को बदलने पर बहुत काम करना है। मैं ऐसे भारत का सपना देखता हूं जहाँ महिलाओं को बराबरी का दर्जा प्राप्त होगा।
शिक्षा
हालांकि भारत सरकार शिक्षा की मांग के महत्व को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है पर अभी भी देश में बहुत से लोग इसके महत्व को महसूस नहीं कर रहे हैं। मेरे सपनों का भारत एक ऐसा स्थान होगा जहां शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य हो। सबकी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को जरुरी कदम उठाने चाहिए ताकि देश में कोई भी बच्चा शिक्षा से रहित नहीं ना रहे।
रोजगार के अवसर
देश के कई योग्य युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे है। अवसर या तो सीमित होते हैं या योग्य उम्मीदवारों की जरुरत के अनुपात में नहीं होते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण कमजोर औद्योगिक वृद्धि है। इसके अलावा कुछ अन्य कारक हैं जैसे कि आरक्षण जो कि योग्य उम्मीदवारों को अच्छा अवसर प्राप्त करने से रोकते हैं। भारत में रोजगार के अवसरों को पाने में असफल रहने वाले कई युवा विदेशों में चले जाते हैं और अपने कुशल दिमाग का अन्य देशों के आर्थिक विकास के लिए काम करते हैं जबकि कुछ लोग सारी उम्र काम नहीं मिलने की वजह से बेरोजगार घूमते हैं।
जाति भेदभाव
देश अभी भी जाति, पंथ और धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्त नहीं है। यह देखना अत्यंत दुखदायी है कि अभी भी कैसे देश के कुछ हिस्सों में कमजोर वर्गों के लोग अपने मूल अधिकारों से वंचित रह रहे हैं।
इसके अलावा कई विभिन्न कट्टरपंथी और अलगाववादी समूह है जो लोगों को अपने धर्म का प्रचार करने और दूसरों के धर्म बारे में गलत बात का प्रचार करने के लिए उकसातें हैं। इससे देश में अक्सर अशांति फैलती है। मैं ऐसे भारत का सपना देखता हूँ जहां लोगों से जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता हो।
भ्रष्टाचार
भारत के विकास की गति में मुख्य अवरोध भ्रष्टाचार है। ऐसा लगता है कि देश की सेवा करने के बजाय यहां के राजनीतिक नेता अपनी जेब भरने में व्यस्त हैं। मेरे सपनों का भारत वह होगा जहां के मंत्री पूरी तरह से देश और उसके नागरिकों के विकास के लिए समर्पित रहे।
निष्कर्ष
मेरे सपनों का भारत एक ऐसा देश होगा जो अपने सभी नागरिकों को समान मानता हो और किसी भी मापदंड के आधार पर उनसे भेदभाव नहीं करता हो। मैं एक ऐसी जगह का सपना देखता हूँ जहां महिलाओं का सम्मान किया जाता है और उन्हें पुरुषों के समान देखा जाता हो। मैं चाहता हूं कि आने वाले समय में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में भारत प्रगति करे।
भारत एक ऐसा देश है जहां विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग एक-दूसरे के साथ सद्भाव में रहते हैं। हालांकि अभी भी देश के कई हिस्सों में किसी व्यक्ति के लिंग, जाति, पंथ, धर्म और आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव किया जाता है। मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत होगा जहां किसी से ऐसा कोई भेदभाव नहीं है। भारत ने पिछले कुछ दशकों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में बहुत विकास देखा है। मैं एक पूरी तरह से विकसित देश के रूप में भारत का सपना देखता हूं, जो न केवल उपर्युक्त क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करेगा बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को भी बरकरार रखेगा। यहाँ हमनें आपकी परीक्षा या स्कूल में निबंध लेखन प्रतियोगिता के लिए इस विषय पर आपकी मदद करने के लिए 'मेरे सपनों का भारत' पर अलग-अलग शब्दों में निबंध उपलब्ध करवाएं हैं।
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