India Languages, asked by devang2004, 1 year ago

mere sapno ka bharat essay in hindi ( i will mark it as the brainliest)

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Answered by Himanshunavik
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Secondary SchoolHindi8 points

Mere sapno ka bharat essay in 150 words

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Ask for details FollowReport byOberagevaishani 17.05.2016

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nandita2703Helping Hand

मेरे सपनों का भारत एक ऐसा भारत है जहाँ पर हर एक मनुष्य को गर्व हो की वो भारतीय है। जहाँ गरीबी का नामो निशान भी नहीं हो, हर तरफ हरयाली और खुशियाँ हों। शुद्ध पर्यावरण और सुंदर प्रकृति हो, सभी को रोज़गार मिले, ग्रामीण छेत्रों में साफ़ पानी, बिजली, स्कूल, और अस्पताल हों। मेरे सपनों के भारत में भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और साम्प्रदायक दंगे कभी न हों, सड़कों पर गड्ढे न हों, बढ़ती आबादी की वजह से हर जगह भीड़ न हो, लोगों को अपने सपने पूरा करने के लिए विदेश न जाना पड़े, आतंकवाद की घटनाएं न हों आदि।


devang2004: don't u think its too short
devang2004: thank you
Himanshunavik: yy
Answered by Anonymous
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अपने देश के प्रति सभी समझदार नागरिकों का अपना एक अलग दृष्टिकोण होता है । वह अपने देश के विषय में चर्चाएँ करता है और चिंतन करता है ।

यहाँ किस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए, समाज का स्वरूप कैसा हो, लोगों को किस हद् तक अपनी परंपराओं एवं प्राचीन विश्वासों का सम्मान करना चाहिए, आधुनिक समस्याओं का देश किस प्रकार निदान करे आदि सैकड़ों बातें हमें उद्‌वेलित करती रहती हैं ।

अपना देश जिन्हें प्यारा होता है और जितना प्यारा होता है, उसी अनुपात में लोगों के निजी हित गौण होते जाते हैं और राष्ट्रहित सर्वोपरि होता जाता है । जब राष्ट्रहित निजी हित से ऊपर हो जाता है तब राष्ट्र के निर्माण, उसका भविष्य सँवारने के स्वप्नों का सृजन भी आरंभ हो जाता है । मैंने भी अपने राष्ट्र को लेकर कुछ सपने बुने हैं, कुछ निजी विचारों का बीजारोपण किया है ।

हालाँकि राष्ट्र निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन इसमें असंभव जैसा कुछ भी नहीं है । अधिकांश यूरोपीय देशों की संपन्नता तथा जापान जैसे एक छोटे से देश का विश्व आर्थिक क्षितिज पर शक्तिशाली होकर उभरना यह सिद्‌ध करता है कि यदि देश के सभी लोग किसी लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर कार्य करें तो उस देश का वर्तमान और भविष्य दोनों सुधर सकता है ।

समस्याग्रस्त तो सभी हैं पर उन समस्याओं को देखने तथा उन्हें सुलझाने का नजरिया सबों का भिन्न-भिन्न है । भारत की सबसे बड़ी समस्या लोगों की कर्महीनता है । हम दूसरों को उपदेश देने में प्रवीण हैं, पर स्वयं उसके विपरीत आचरण कर रहे हैं ।

भारत की आत्मा अभी भी जीवंत है लेकिन लोग अधमरे से हैं । मेरे सपनों का भारत उद्‌यमशील होना चाहिए, अकर्मण्य लोगों को यहाँ कम सम्मान मिलना चाहिए । मगर हम उन लोगों के भाग्य को सराहते हैं जो बिना हाथ-पाँव डुलाए, मुफ्त की रोटी तोड़ रहे होते हैं ।

आजादी के आंदोलन के दौरान गाँधीजी ने लोगों के समक्ष यह बात बारंबार दुहराई थी कि श्रम का सम्मान किए बिना भारत सही मायनों में आजाद नहीं हो सकता । फिर भी ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ वाली हमारी आदत गई नहीं ।

Anonymous: Bhai Dekh lo
devang2004: it is long good but not that related to the topic
devang2004: par to bhi DHANYVAD
devang2004: I am marking u the brainliest
devang2004: good attempt
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