Mere to giridhar gopal dusaro na koi.
Which ras is this?
a.Sayog
b.Viyog
Pls answer fast
Answers
Answer:
viyog
Explanation:
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प्रशन :- मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो ना कोई | यह कोण सा रस है ? (अ) संयोग,( ब ) वियोग |
उत्तर :- संयोग (श्रृंगार रस)
रस का शाब्दिक अर्थ - निचोड़ है।
रस वह है जो काव्य में आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है।
रस के प्रकार :-
1. शृंगार रस - रति
2. हास्य रस - हास
3. करूण रस - शोक
4. रौद्र रस - क्रोध
5. वीर रस - उत्साह
6. भयानक रस - भय
7. बीभत्स रस - जुगुस्ता या घृणा
8. अदभुत रस - विशम्या या आश्चर्य
9. शान्त रस - निर्वेद
10. वत्सल रस - वात्सल्य
11. भक्ति रस - अनुराग/देव रति
श्रृंगार रस : -
जब किसी काव्य में नायक नायिका के प्रेम,मिलने, बिछुड़ने आदि जैसी क्रियायों का वर्णन होता है तो वहाँ श्रृंगार रस होता है। यह 2 प्रकार का होता है-
1. संयोग श्रृंगार
2. वियोग श्रृंगार
1.संयोग श्रृंगार--जब नायक नायिका के मिलने और प्रेम क्रियायों का वर्णन होता है तो संयोग श्रृंगार होता है।