Hindi, asked by sohelgora5715, 4 days ago

Merey raam ka mukut bheeg raha hai nibandh ki shally

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Answered by abhisingh40407
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मेरे राम का मुकुट भीग रहा है

राम मंदिर में भले प्रतिष्ठित हों, आमजन के मन में उनकी छवि एक वनवासी की ही है, जिसने अपार कष्ट सहे। इस वनवासी राम से एक आधुनिक मन किस तरह संवाद करता है, उसकी बानगी है यह निबंधविद्यानिवास मिश्र

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अभी दो-तीन रात पहले मेरे एक साथी संगीत का कार्यक्रम सुनने के लिए नौ बजे रात गए, साथ में जाने के लिए मेरे एक चिरंजीव ने और मेरी एक मेहमान कन्या ने अनुमति मांगी। शहरों की आजकल की असुरक्षित स्थिति का ध्यान करके इन दोनों को जाने तो नहीं देना चाहता था, पर लड़कों का मन भी तो रखना होता है, कह दिया, एक-डेढ़ घंटे सुनकर चले आना।

रात के बारह बजे। लोग नहीं लौटे। गृहिणी बहुत उद्विग्न हुईं, झल्लायीं; साथ में गए मित्र पर नाराज होने के लिए संकल्प बोलने लगीं। इतने में ज़ोर की बारिश आ गई। छत से बिस्तर समेटकर कमरे में आया। गृहिणी को समझाया, बारिश थमेगी, आ जाएंगे, संगीत में मन लग जाता है, तो उठने की तबीयत नहीं होती, तुम सोओ, ऐसे बच्चे नहीं हैं।

पत्नी किसी तरह शांत होकर सो गईं, पर मैं अकुला उठा। बारिश निकल गई, ये लोग नहीं आए। बरामदे में कुर्सी लगाकर राह जोहने लगा। दूर कोई भी आहट होती तो, उदग्र होकर फाटक की ओर देखने लगता। रह-रहकर बिजली चमक जाती थी और सड़क दिप जाती थी। पर सामने की सड़क पर कोई रिक्शा नहीं, कोई चिरई का पूत नहीं। एकाएक कई दिनों से मन में उमड़ती-घुमड़ती पंक्तियां गूंज गईं :

‘मोरे राम के भीजे मुकुटवा

लछिमन के पटुकवा

मोरी सीता के भीजै सेनुरवा

त राम घर लौटहिं।’

(यानी मेरे राम का मुकुट भीग रहा होगा, मेरे लखन का पटुका यानी दुपट्टा भीग रहा होगा, मेरी सीता की मांग का सिंदूर भीग रहा होगा, मेरे राम घर लौट आते।) बचपन में दादी-नानी जांते पर वह गीत गातीं, मेरे घर से बाहर जाने पर विदेश में रहने पर वे यही गीत विह्वल होकर गातीं और लौटने पर कहतीं - 'मेरे लाल को कैसा वनवास मिला था।'

मेरा मन घूम गया कौसल्या की ओर, लाखों-करोड़ों कौसल्याओं की ओर, और लाखों करोड़ों कौसल्याओं के द्वारा मुखरित एक अनाम-अरूप कौसल्या की ओर, इन सबके राम वन में निर्वासित हैं, पर क्या बात है कि मुकुट अभी भी उनके माथे पर बंधा है और उसी के भीगने की इतनी चिंता है? क्या बात है कि आज भी काशी की रामलीला आरंभ होने के पूर्व एक निश्चित मुहुर्त में मुकुट की ही पूजा सबसे पहले की जाती है? क्या बात है कि आज भी वनवासी धनुर्धर राम ही लोकमानस के राजा राम बने हुए हैं? कहीं-न-कहीं इन सबके बीच एक संगति होनी चाहिए।

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