Hindi, asked by joel1008, 11 months ago

Meri avismarniya yatre​

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Answered by srab12345
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मेरे पिता जी भारत सरकार के कृषि विभाग में हैं। वे दो तीन वर्ष से अधिक एक स्थान पर नहीं रहते। उनका स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता रहता है। इस कारण हमें कई बार रेल यात्रा करने का मौका मिला है। पिछले वर्ष भी मेरे पिताजी का स्थानान्तरण मद्रास से दिल्ली हो गया था।

मद्रास से दिल्ली की यात्रा बहुत लम्बी है। यह यात्रा रेल में आरक्षण करवाए बिना करना बहुत कठिन है। इसलिए हम प्रातः काल आरक्षण की खिड़की खुलने से पहले ही वहाँ जाकर खड़े हो गए। हमसे पहले तीन चार आदमी ही खड़े हुए थे। खिड़की खुलते ही 15-20 मिनट में हमें दिल्ली के लिए रेल का टिकट मिल गया और हमारा आरक्षण भी हो गया।

हमें दिल्ली दक्षिण एक्सप्रेस गाड़ी से जाना था। यह गाड़ी प्रातः छः बजे मद्रास से चलती है। हम आधा घंटा पहले ही स्टेशन पर पहुँच गए और रेल के डिब्बे में अपना सामान रखवा दिया। इसके बाद हम स्वयं भी उसमें बैठ गए।

गाड़ी में भीड़- गाड़ी चलने में 10-15 मिनट बाकी थे। धीरे धीरे हमारे डिब्बे में भीड़ बढ़ने लगी। हमार डिब्बा खचाखच भर गया। थोड़ी देर के बाद गाड़ी ने सीटी दी और उसने प्लेटफार्म पर रेंगना शुरू कर दिया। देखते ही देखते वह लच्छेदार बादल उड़ाती हुई तेजी पकड़ने लगी। प्लेटफार्म, सिगनल, सब पीछे छूट गए। मैंने जब डिब्बे के बाहर झाँका तो देखा कि दूर दूर तक पानी ही पानी है। यह शायद सागर का पानी था। नारियल के पेड़ों की पंक्तियाँ दूर दूर तक हमारे साथ भागती दिखाई देती थीं। हवा के ठंडे ठंडे झोंके मुझे बहुत अच्छे लग रहे थे।

दोपहर के बारह बजने वाले थे। हमारी गाड़ी विजयवाड़ा स्टेशन के पास आकर रूक गई। विजयवाड़ा कृष्णा नदी के तट पर है। यह अत्यन्त ही सुन्दर स्थान है। गाड़ी के रूकते ही बहुत से लोग गाड़ी से नीचे उतरने लगे। प्लेटफार्म पर डिब्बे के पास ही पानी का नल था। वहाँ अचानक ही भीड़ लग गई। सभी अपनी अपनी बोतलों में पानी भरने की प्रतीक्षा करने लगे। प्लेटफार्म पर खोंमचे वाले इधर उधर आते जाते दिखाई देने लगे। थोड़ी देर रूकने के बाद गाड़ी ने एक बार फिर सीटी दी। लोग डिब्बों में चढ़ने के लिए भागा दौड़ी करने में लग गए। थोड़ी देर में गाड़ी ने फिर प्लेटफार्म पर रेंगना शुरू कर दिया।

हमारी गाड़ी दूसरे दिन नागपुर, आमला, इटारसी, झाँसी, ग्वालियर और आगरा होते हुए रात को नई दिल्ली स्टेशन पर पहुँच गई। वहाँ मेरे मामा जी हमें लेने के लिए स्टेशन पर पहले से ही मौजूद थे। हम गाड़ी से उतरे और उनके साथ साथ चल दिए।

मैंने कई बार रेल यात्रा की है। पर इस रेल यात्रा में जो आनंद आया वह निराला ही था। इसलिए इस रेल यात्रा को मैं जीवन भर नहीं भूल सकता।

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