Hindi, asked by Raji4998, 1 year ago

meri dincharya par anuched

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Answered by chandujadhav
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प्रस्तावना:

मैं विद्यार्थी हूँ इसलिए मेरी दिनचर्या बड़ी साधारण और बंधी-बंधाई है । एक बार मेरे प्रिंसिपल ने एक भाषण के दौरान प्रातःकाल जल्दी उठने के लाभ बताये थे और कहा था कि ऐसा करने पर स्वास्थ्य, धन और बुद्धिमता जैसे जीवन के तीन मुख्य वरदान स्वत: प्राप्त हो जाते हैं । तब से मै हर दिन बड़े सवेरे बिस्तर से उठने लगा हूँ ।

प्रातःकाल का कार्यक्रम:

उषाकाल में उठकर मैं शोच आदि से निपट कर ठंडे पानी से स्नान करता हूँ और स्वच्छ कपड़े पहन कर निकट के मंदिर में जाता हूँ । मेरी माँ की इच्छा है कि मैं ईश्वर की प्रार्थना के बाद ही दिन का काम प्रारभ करू । मंदिर से घर लौट कर मैं स्नान करता हूँ ।

नाश्ते में दो बिस्कुट या एक डबलरोटी का टुकड़ा और एक गिलास दूध पीता हूँ । तब तक प्रात: के सात बज जाते है । मैं अब पढने बैठ जाता हूँ और दस बजे तक पढ़ाई करता हूँ । इन तीन घंटो के दौरान मैं विभिन्न विषयों पर दिया गया होम वर्क पूरा कर लेता हूँ तथा पिछले दिन पढ़ाये गए पाठ को दोहरा लेता हूँ और उस दिन की पढ़ाई भी पहले से पड़ कर तैयार कर लेता हूँ ।

मैं परीक्षा के समय ही पढ़ाई करने में विश्वास नहीं करता । मेरा यह विश्वास है कि मेरी यह नियमितता मेरे जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगी । पढाई समाप्त करके मैं खाना खाता हूँ और स्कूल के लिए रवाना हो जाता हूँ ।

स्कूल का कार्यक्रम:


मेरा रकूल साढ़े दस बजे से लगता है । घर से स्कूल का केवल पाँच मिनट का पैदल का रास्ता है । मैं हमेशा समय से दस मिनट पहले ही स्कूल पहुंच जाता हूँ । मैं पढ़ने में तेज हूँ और अपनी कक्षा में सदा प्रथम आता हूँ । स्कूल में कई शिक्षक विशेष रूप से गणित और अंग्रेजी के शिक्षक कमजोर लड़कों के प्रश्नो का उत्तर देने में बहुत-सा समय नष्ट कर देते हैं ।

मुझे इसका बड़ा दुःख होता है, लेकिन कुछ किया नहीं जा सकता । कक्षा में तो सभी के साथ चलना पड़ता है । कभी-कभी मुझे लगता है कि इस प्रकार की कक्षाओं का उद्देश्य क्या के अधिक-से-अधिक विद्यार्थियों को पास कराना होता है ।

कुछ भी क्यों न हो, मैं स्कूल में हर शिक्षक की बात बड़ी श्रद्धा और आदर के साथ सुनता हूँ । स्कूल टाइम-टेबल के हिसाब से अलग-अलग विषयों की पढ़ाई होती है । मेरे टाइम-टेबल में पहला पीरियड अंग्रेजी का व दूसरा गणित का है । अतिम पीरियड इतिहास का है ।

स्कूल के बाद का कार्यक्रम:

मेरा स्कूल साढ़े चार बजे बन्द हो जाता है । मैं रकूल से सीधे घर आता हूँ । बस्त्ता नियत स्थान पर रखकर अपने कपड़े बदलता हूँ और अच्छी तरह हाथ-मुँह धोकर मैं हल्का नाश्ता करता हूँ । इसके बाद कुछ देर आराम करने के बाद मैं खेल के मैदान में चला जाता हूँ ।

यही मैं तरह-तरह के खेल खेलता हूँ । हॉकी मेरा प्रिय खेल है । जब कभी साथियों की कमी से हॉकी नहीं खेल पाता, तो कबडी या अन्य कोई शारीरिक श्रम का खेल खेल खेलता हूँ । कभी-कभी क्रिकेट भी खेलता हूँ । 2 घंटे तक खेलने से खूब पसीना निकलता है और शरीर चुस्त हो जाता है । इसके बाद मैं घर लौट आता हूँ ।

घर आकर मैं स्नान करता हूँ । स्नान करके शरीर स्वच्छ और मन प्रसन्न हो जाता है । तब तक माँ खाना तैयार कर चुकती है और में गरमागरम खाना खाकर कुछ देर के लिए टहलने निकल जाता हूं । टहल कर लौटने तक माँ भी अपने रसोई के काम पूरे कर चुकी होती है । मैं माँ के पास बैठ कर कुछ देर गपशप करता हूँ । वह मुझे बड़ी रोचक कहानियाँ सुनाया करती हैं । कहानी सुनते-सुनते मुझे नींद के झोंके आने लगते हैं और शीघ्र ही मैं निद्रा की गोद में समा जाता हूं ।

रविवार और छुट्टी के दिनों का कार्यक्रम:

रविवार व छुट्टी के अन्य दिनों में भी सुबह उठने और रात को सोने के कार्यक्रम उसी नियत समय पर होते हैं । मंदिर जाने का कार्यक्रम भी यथावत रहता है । अक्सर सुबह की पढ़ाई भी मैं नहीं छोड़ता, लेकिन शेष कार्यक्रमों में परिवर्तन हो जाता है ।

कभी-कभी मैं रविवार या छुट्टी के दिन मनोरंजन के लिए सिनेमा चला जाता हूँ । अन्य दिनों मे मित्रों तथा रिश्तेदारों के घर जाने का कार्यक्रम बना लेता हूं । कभी-कभी किताबो की अल्मारी, कपडे आदि साफ करता हूँ । इन दिनों प्रतिदिन की बंधी-बंधाई जिन्दगी मे कुछ बदलाव आ जाता है ।

उपसंहार:

जो विद्यार्थी अपने शिक्षा काल में नियमित जीवन की आदत डाल लेते है, वे जीवनभर सुखी रहते हैं । “जल्दी सोना और जल्दी उठना व्यक्ति को स्वस्थ, समृद्ध और बुद्धिमान बनाता है ।” हम सभी को इसका पालन करना चाहिए ।

Answered by Nidhi864
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प्रस्तावना:

मैं विद्यार्थी हूँ इसलिए मेरी दिनचर्या बड़ी साधारण और बंधी-बंधाई है । एक बार मेरे प्रिंसिपल ने एक भाषण के दौरान प्रातःकाल जल्दी उठने के लाभ बताये थे और कहा था कि ऐसा करने पर स्वास्थ्य, धन और बुद्धिमता जैसे जीवन के तीन मुख्य वरदान स्वत: प्राप्त हो जाते हैं । तब से मै हर दिन बड़े सवेरे बिस्तर से उठने लगा हूँ ।

प्रातःकाल का कार्यक्रम:

उषाकाल में उठकर मैं शोच आदि से निपट कर ठंडे पानी से स्नान करता हूँ और स्वच्छ कपड़े पहन कर निकट के मंदिर में जाता हूँ । मेरी माँ की इच्छा है कि मैं ईश्वर की प्रार्थना के बाद ही दिन का काम प्रारभ करू । मंदिर से घर लौट कर मैं स्नान करता हूँ ।

नाश्ते में दो बिस्कुट या एक डबलरोटी का टुकड़ा और एक गिलास दूध पीता हूँ । तब तक प्रात: के सात बज जाते है । मैं अब पढने बैठ जाता हूँ और दस बजे तक पढ़ाई करता हूँ । इन तीन घंटो के दौरान मैं विभिन्न विषयों पर दिया गया होम वर्क पूरा कर लेता हूँ तथा पिछले दिन पढ़ाये गए पाठ को दोहरा लेता हूँ और उस दिन की पढ़ाई भी पहले से पड़ कर तैयार कर लेता हूँ ।

मैं परीक्षा के समय ही पढ़ाई करने में विश्वास नहीं करता । मेरा यह विश्वास है कि मेरी यह नियमितता मेरे जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगी । पढाई समाप्त करके मैं खाना खाता हूँ और स्कूल के लिए रवाना हो जाता हूँ ।

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