meri jeevan ka yadgar ghatna
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ये कहानी उन दिनों का हैं जब मैं बहुत छोटा था उस समय भूत का काफी बोल बाला था उन दिनों लोग घर से बाहर तक नहीं निकलते थे भूतो का खोप से और मेरे दादा जी हमलोगों को बारह बजे रात से पहले पढायी से छुट्टी नहीं देते थे जब नीद आती थी तब डाटने लगते थे किसी तरह आँख खोल के दादाजी के डर से रहते थे हमारे घर के पीछे मैं एक गुल्लर का गाछ था जो काफी भयानक था उस पेड़ पर रातो को भूतो का बसेरा रहता था बिना हवा के कई दली टूट के गिर जया करता था इस डर की वजह से कोई भी बच्चा मेरे मेरा घर के पीछे नहीं आया करता था एक बार मेरे दादी जी आबाज सुनने के के बाद घर के पीछे गयी और उन्हें भूतो ने पकर लिए और मेरे दादी बिहोस हो गयी थी और उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था उसके बाद मेरे दादा जी आये और देखे तो भूत पककर लिए था मेरा दादा जी खुद ओंझा हैं जो झार फउक कर ते हैं मेरे घर पे रोज लोगो का भीर लगा हुआ रहता था किसी को भूत तो किसी को चुरेल पकरे हुये राहता था मेरे दादा जी पे काफी लोगो का विश्वाश था तभी तो लोग दूर दूर से दिखवाने के लिए आये करते थे और विश्वास के साथ ठीक होकर जाते थे मेरे घर के थोरा पीछे एक नदी हैं जिसमें हम सभी दोस्त नहाने के लिए जाया करते थे नदी के किनारे एक बेल और एक बैर का पेर था हम लोग नहाने के वाद बेल को पथ्हर मार के तोरा करते थे उस जगह पर किसी का हीमत नहीं था जो बारह बजे इस जगह पर आ सके कई पूजा हुवा पर कोई फर्क नहीं परता था पर धीरे धीरे इसका साम्राज्य धीरे धीरे खत्म हुवा पर आज भी लोगो के मन मैं एक खोप सा लगा रहता हैं एक बार जब मैं दादा जी के पास उनके साथ मैं पढ़ रहा था उस दिनों काफी हवा चल रहा था जिसके करण लालटेन मुझ गया था और मैं अँधेरे मैं अपने घर आ रहा था की मेरे घर के दरवाजे पर एक बूढी औरत से मुलाक़ात हुयी कई बार मै रासते से हटने को कहा मैं नहीं हटउगा मैंने काफी परयास कीया पर नहीं हटी फिर दादा जी को बूलाया तो पता चला ओ भूत हैं मैं काफी डर गया था पर सही
समय पर दादा जी आ गऐ और भूतो का मुह तोर जबाब दीऐ मेरे दादा जी के देह पे कई देबता आते हैं जिस वजह भूत गायब हो गया ...........................
समय पर दादा जी आ गऐ और भूतो का मुह तोर जबाब दीऐ मेरे दादा जी के देह पे कई देबता आते हैं जिस वजह भूत गायब हो गया ...........................
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