meri kalpana topic upar hindi me kavita likhe ur ek kahani
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अंधियारे को चीर ने वाली जुगनू हो तुम
प्यासे मृगे को दीखने वाली मृगतृष्णा हो तुम
मेरे अरमानों को पंख लगाने वाली मेरी कल्पना हो तुम|
जिससे मिल के गंगा बने वो अलकनंदा हो तुम
जिसकी साधना से आराध्य पाऊं वो आराधना हो तुम
विचलन में भी धैर्य की बांध बनाने वाली मेरी कल्पना हो तुम।
प्रेमी को उसके प्रेयसी से मिलाने वाली सपना हो तुम
जिसे पढ़ के प्रेम का काव्य लिखूं ऐसी रचना हो तुम
दुःख में भी सुख की अनुभूति देने वाली मेरी कल्पना हो तुम।
जिससे नित प्रेम प्रवाह करे वो झरना हो तुम
जिसमें ये बहेतू मन वास करे वो संरचना हो तुम
शिथिलन में भी उमंग की बयार लाने वाली मेरी कल्पना हो तुम।
मुझे मुझ से ही अलग करने वाली अपना हो तुम
जिसे सुबहोशाम गान करूं वो वंदना हो तुम
हार में भी जीत के रंग भरने वाली मेरी कल्पना हो तुम।
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Answer:
मेरी कल्पना कविता
अंधियारे को चीर ने वाली जुगनू हो तुम
प्यासे मृगे को दीखने वाली मृगतृष्णा हो तुम
मेरे अरमानों को पंख लगाने वाली मेरी कल्पना हो तुम|
जिससे मिल के गंगा बने वो अलकनंदा हो तुम
जिसकी साधना से आराध्य पाऊं वो आराधना हो तुम
विचलन में भी धैर्य की बांध बनाने वाली मेरी कल्पना हो तुम।
प्रेमी को उसके प्रेयसी से मिलाने वाली सपना हो तुम
जिसे पढ़ के प्रेम का काव्य लिखूं ऐसी रचना हो तुम
दुःख में भी सुख की अनुभूति देने वाली मेरी कल्पना हो तुम।
जिससे नित प्रेम प्रवाह करे वो झरना हो तुम
जिसमें ये बहेतू मन वास करे वो संरचना हो तुम
शिथिलन में भी उमंग की बयार लाने वाली मेरी कल्पना हो तुम।
मुझे मुझ से ही अलग करने वाली अपना हो तुम
जिसे सुबहोशाम गान करूं वो वंदना हो तुम
हार में भी जीत के रंग भरने वाली मेरी कल्पना हो तुम।