MERI Manzil poem in hindi
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मेरी मंजिल
Explanation:
मेरी मंजिल तुम्ही तुम हो|
तुम ही मेरा किनारा हो
सफर कितना भी लम्बा हो
तुम ही मेरा सहारा हो
बदलते दौर में तुम भी कहीं बदल नहीं जाना
तुम्हारे बाद जीवन में तेरी यादों का सहारा हो
सफर के रास्ते कभी अच्छे नहीं लगते
तुम्हारे बिन ना रातें ना दिन अच्छे लगते
तेरी ही याद में अब तो यूं ही शामें गुजरती हैं
तुम्हारे बिन खुशी वाले लम्हें भी अच्छे नहीं लगते |
-पुष्पेंद्र कुमार
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