Meri Pehli Rail yatra in Hindi quotation only
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जीवन एक यात्रा है आपको बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है
मेरी पहली रेल यात्रा मैंने बचपन में की थी तब मैं कक्षा 6 में पढ़ता था. मुझे सही से तो याद नहीं लेकिन उस समय फरवरी का महीना था और सर्दियां बहुत पड़ रही थी. मेरे स्कूल की 10 दिनों की छुट्टियां पड़ी थी इसलिए पिताजी ने मुझे बिना कुछ बताए वैष्णो देवी जाने का प्लान बना लिया था.
जब मैं दोस्तों के साथ खेल कर शाम को घर लौट कर आया तो मां ने बताया कि कल हम मां वैष्णो देवी के दर्शन करने जा रहे है. यह सुनकर मैं बहुत खुश हो गया क्योंकि हम काफी समय बाद कहीं पर घूमने जा रहे थे. मैं उस समय इतना खुश था कि खुशी के मारे मैं इधर-उधर कूद रहा था.
थोड़ी देर बाद मन शांत हुआ तो मैंने मां कोतूहल वश पूछा कि हम वैष्णो देवी कैसे जाएंगे तुमने कहा कि हम वैष्णो देवी “रेल” से जाएंगे. यह सुनकर तो मैं और खुश हो गया क्योंकि मैंने पहले कभी रेल से सफर नहीं किया था. बस किताबों और TV पर ही रेल को चलते देखा था.
मां ने शाम को ही सारे सामान की पैकिंग कर ली थी. ट्रेन रात के 3:00 बजे की थी. मां ने कहा तुम जाकर सो जाओ लेकिन मुझे नींद कहां आने वाली थी मैं पूरी रात भर यही सोच रहा था कि रेल का सफर कैसा होगा. जैसे-तैसे रात के 2:00 बजे और मां ने मुझे उठाया और कहा कि तैयार हो जाओ रेलवे स्टेशन जाना है.
मैं हाथ मुंह धो कर तैयार हो गया और पिताजी घर के बाहर टैक्सी बुला ली. घर के बाहर निकलें तो देखा कि सर्दी बहुत थी और कोहरा छाया हुआ था. हम टैक्सी में बैठ कर करीब 2:30 बजे दिल्ली स्टेशन पहुंचे. पिताजी ने पहले ही ट्रेन की टिकट बुक करा ली थी.
हमारा ट्रेन का सफर बहुत लंबा होने वाला था क्योंकि हमें जयपुर से वैष्णो देवी जाना था. स्टेशन पहुंचने के बाद हम प्लेटफॉर्म पर बैठे हुए थे वहां पर मैंने देखा कि एक ट्रेन आ रही थी तो एक ट्रेन जा रही थी. वहां पर लोगों की बहुत ज्यादा भीड़ थी. रेल की सीटी इतनी जोरदार थी कि उसको 5 किलोमीटर दूर तक सुना जा सकता था.
M̾a̾r̾k̾ a̾s̾ b̾r̾a̾i̾n̾l̾i̾e̾s̾t̾.