Metro Ki Sair nibandh Hindi
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Metro Train
आज अगर हम किसी भी महानगर को देखते हैं तो हमें उसकी प्रगति देख जितनी खुशी होती है उतनी ही निराशा उसकी बेलगाम बढ़ती जनसंख्या, वाहनों की बेतहाशा वृद्धि, प्रदूषण का कहर, सड़क दुर्घटनाओं के अनियंत्रित होते आंकड़े आदि को देख होती है।
कुछ भी हम कह लें, पर हर महानगर आज बड़ी तेजी से अपने विनाश की ओर बढ़ता ही जा रहा है। वहाँ सबसे बड़ी समस्या जो हर किसी को झेलनी बढ़ती है वह है ट्रैफिक जाम की।
मेट्रो रेल इन सब विकल्पों से निजात पाने के लिए किए गए खोज का एक परिणाम है। मेट्रो रेल को अगर हम बस का आधुनिक रूप कहें तो कुछ गलत नहीं होगा। बस फर्क सिर्फ इतना है कि बस सड़क पर दौड़ती है और मेट्रो रेल पटरियों पर।
मेट्रो रेल नवीनतम अविष्कारों में एक सकारात्मक खोज है। जापन, कोरिया, हॉगकॉग की तर्ज पर ही भारत में भी इसे कई महानगरों में अपनाया जा रहा है। दिल्ली में यह पूरी तरह से फैल चुका है, इसके अलावा हैदराबाद आदि महानगरों में इसके प्लंट लग चुके हैं।
भारत की राजधानी, दिल्ली का उदाहरण लें तो अभी वहाँ की सड़कों की कुल लंबाई 1248 किलोमीटर है यानि शहर के कूल जमीन में से 21% पर तो केवल सड़कें ही फैली है। फिर भी मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति सीमा 15 किलोमीटर प्रतिघंटा ही आंकी जाती है जो वहां के उपलब्ध वाहनों की संख्या के अनुसार है। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार राजधानी में लगभग 35 लाख वाहन हैं जिसमें प्रतिवर्ष 10%-15% की वृद्धि होती ही है। इन कुल वाहनों में लगभग 85 % निजी वाहन है व 15% सरकारी। निजी वाहन का प्रयोग वहां के निवासियों की मजबूरी थी क्योंकि अब तक जो नगर सेवा के लिए परिवहन सुविधा उपलब्ध थी वह वहाँ के आवागमन के लिए पर्याप्त नहीं थी।
पर मेट्रो रेल के आगमन ने दिल्ली की संरचना की बदल डाली। आज हालत यह है कि वहाँ के निवासी केवल दिल्ली शहर ही नहीं अपितु आजपास के गाँवों तक। का आवागमन सुविधापूर्ण रूप से कर रहे हैं, जो उनके जेब पर निजी वाहन के मुकाबले केवल 10 % का ही भार डाल रहा है।
मेट्रो रेल की योजना विभिन्न चरणों में संपन्न हो कर आज अपने इस विशाल रूप में पहुँची है। मेट्रो रेल अत्याधुनिक तकनीक से संचालित हो रही है। इसके कोच भी वातानुकूलित हैं, टिकट प्रणाली भी स्वचालित है। इसकी क्षमता के अनुसार ही यह टिकट उपलब्ध कराती है। इसके स्टेशनों पर एस्केलेटर की सुविधा भी उपलब्ध है। इसे खास तौर से बस रूट के समानान्तर ही बनाया गया है। ताकि जो यात्री कहीं उतरे तो उसे तुरंत सवारी के लिए दूसरा साधन प्राप्त हो सके।
मेट्रो योजना की शुरुआत दिल्ली में कुछ इस तरह से हुई थी- प्रथम चरण में इसे शाहदरा से तीस हजारी तक और दूसरे चरण में दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गांधी नगर, केन्द्रीय सचिवालय, वसंत कुंज और बाराखंभा रोडइंद्रप्रस्थ-नोएडा के लिए अनुमोदित दिया गया। सन् 2010 तक इसे सफलतापूर्वक पूरा भी कर लिया गया था।
विदेशों की तरह ही हमारे भारतीय मेट्रो रेल के दरवाजे भी स्वचलित हैं। साथ ही अंदर लगे रेकॉडर हमें आने वाले स्टेशनों की जानकारी समय-समय पर देते रहते हैं।
मेट्रो कभी धरती के भीतर से गुजरती है तो कभी धरती के ऊपर से जिसकारण ट्रैफिक जाम का कोई चक्कर ही नहीं पड़ता।
मेट्रो सुविधा शुरु होने के पश्चात् कराए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि दिल्ली की 45% जनता ने अपने निजी वाहनों को छोड़ मेट्रो सेवा अपना ली है, जो जल्द ही पूरे दिल्ली पर अपना हाथ जमा लेगी क्योंकि मेट्रो रेल से यात्रा करना सुविधाजनक है। और अत्याधिक खर्च भी वाहन नहीं करना पड़ता साथ ही साथ समय की बचत भी कराता है।
मेट्रो रेल जिस तरह दिल्ली के लिए एक वरदान साबित हुई है, जल्द ही सारे भारत को भी उपलब्ध होगी, सरकार इसके लिए सार्थक प्रयास कर रही है।
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