Mhadevi verma ka jivan parichay aur saahityik parichay
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आधुनिक मीरा श्रीमती महादेवी वर्मा (Mahadevi verma) का जन्म होली के दिन 24 मार्च सन 1907 ईस्वी को फर्रुखाबाद में हुआ था ।उनके पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा प्रतिष्ठित कवि थे और माता श्रीमती हेम रानी देवी कवियत्री थीं 9 वर्ष की बाल्यावस्था में ही श्री स्वरूप नारायण वर्मा से उनका विवाह हो गया । विवाह उपरांत उनकी विद्यालयीय शिक्षा गतिशील न रह सकी ।उनका पारिवारिक जीवन सुखमय ना रहा ।बाद में उन्होंने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम ए संस्कृत की परीक्षा ससम्मान प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। वे बहुत समय तक प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या रहीं। वे मधुर गीत लेखिका के रूप में साहित्य सर्जन करने लगीं ।हार्दिक वेदना एवं स्नेह को उन्होंने निरीह जीवों पर विकीर्ण किया।वे छायावादी सशक्त गीतकार के रूप में उभरकर आयीं तथा आधुनिक युग की मीरा कहलायीं।वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्या भी रहीं ।सरकार ने उन्हें 1956 ईस्वी में पद्मभूषण की उपाधि से विभूषित किया ।
यद्यपि महादेवी वर्मा कवयित्री के रूप में लोकप्रिय हैं, परन्तु वे एक सशक्त गद्य लेखिका भी भीं। यद्यपि काव्य में वे कल्पना के पंख लगाकर आकाशविहारिणी हैं, लेकिन गद्य में वे पथरीली और ऊबड़-खाबड़ यथार्थ की भूमि पर उतर आयी है।अत: काव्य के अतिरिक्त गद्य के क्षेत्र में भी उनकी देन कम नहीं है । हिन्दी-जगत की यह साभिका 11 सितम्बर, सन् 1987 ई० को चिरनिद्रा में लीन हो गयीं।
साहित्यिक परिचय
महादेवी वर्मा अपने जीवन के प्रारम्भिक काल से ही हिन्दी साहित्य की सेवा में संलग्न रहीं। तन्होंने गद्य तथा पद्य दोनों क्षेत्रों में ही रचना की है। उन्हें सन् १९३६ ई. में ‘नीरजा’ पर सेकसरिया पुरस्कार, सन् १९४० ई. में ‘यामा’ पर मंगलाप्रसाद पारितोषिक और सन १९८२ ई. में ‘माया एवं ‘दीपशिखा’ पर साहित्य का स्वच्छ ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं।वे आधुनिक मीरा के रूप में तीव्र वेदना लेकर गीत-जगत में अवतीर्ण हुई। अदृष्ट प्रियतम के प्रति ललक, उत्कण्ठा एवं मिलन के भाव उनके मन में बने रहे, फिर भी वे विरह में डूबी रहीं ।
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