Milka singh ne koun se Olympic me choutha sthan prapt kiya???
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मिल्खा सिंह ने यूँ तो एथियाई खेलो में चार स्वर्ण और राष्ट्रमंडल खेलों में एक स्वर्ण पदक जीता है, लेकिन जब भी उनका ज़िक्र आता है, उनकी जीतों से कहीं ज़्यादा, उनकी एक हार की चर्चा होती है. यूँ तो ओलंपिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धाओं में अब तक भारत को कई पदक मिल चुके हैं.
केडी जाधव, लिएंडर पेस, राज्यवर्धन सिंह राठौर और अभिनव बिंद्रा जैसे कई लोग भारत को पदक दिलवा चुके हैं. लेकिन रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह के पदक चूकने की कहानी को इन सबसे कहीं ज़्यादा शिद्दत से याद किया जाता है. शायद इसकी वजह यह कि दिल टूटने की कहानियाँ, जीत की कहानियों से कहीं ज़्यादा ताक़तवर होती हैं.
रोम जाने से दो साल पहले से ही मिल्खा सिंह को विश्व स्तर का एथलीट माना जाने लगा था जब उन्होंने कार्डिफ़ राष्ट्रमंडल खेलों में तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड होल्डर मेल स्पेंस को हरा कर स्वर्ण पदक जीता था. रोम में भारतीय एथलेटिक्स टीम के उप कोच वेंस रील को पूरा विश्वास था कि मिल्खा इस बार पदक ज़रूर लाएंगे, शायद स्वर्ण पदक भी ले आएं. उनकी इस उम्मीद के पीछे कुछ कारण भी थे.
बीबीसी से बात करते हुए मिल्खा सिंह ने याद किया, “रोम ओलंपिक जाने से पहले मैंने दुनिया भर में कम से कम 80 दौड़ों में भाग लिया था. उसमें मैंने 77 दौड़ें जीतीं जिससे मेरा एक रिकार्ड बन गया था. सारी दुनिया ये उम्मीद लगा रही थी कि रोम ओलंपिक में कोई अगर 400 मीटर की दौड़ जीतेगा तो वो भारत के मिल्खा सिंह होंगे. ये दौड़ ओलंपिक के इतिहास में जाएगी जहाँ पहले चार एथलीटों ने ओलंपिक रिकार्ड तोड़ा और बाक़ी दो एथलीटों ने ओलंपिक रिकार्ड बराबर किया. इतने लोगों का एक साथ रिकार्ड तोड़ना बहुत बड़ी बात थी.”