mind map on ab kahan dusro ke dukh mein dukhi
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अब कहाँ दूसरों के दुखी होने वाले पाठ
अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुखी होने वाले पाठ निदा फाजली द्वारा लिखा गया है |
पाठ में कवि ने मनुष्य के स्वभाव के बारे में वर्णन किया गया है | मनुष्य की भूख कभी शांत नहीं होती है | वह अपने जीवन स्वार्थी हो गया है , वह दूसरों प्राणियों के बारे में कुछ नहीं सोचता है , वह अपनी ही जाति के लोगों के प्रति दया भावना भूल चूका है | वह किसी के सुख-दुःख में साथ नहीं देता है | वह किसी के सहायता नहीं करता है | लोग इतने स्वार्थी हो गए है , वह अपने बारे में सोचता है |
पाठ में कुछ व्यक्तियों के उदाहरण दिए गए है , यह व्यक्ति दूसरों की भलाई के बारे में सोचते है | वह दूसरों की भलाई करने में अपने कर्तव्य को समझते है | वह मनुष्य के साथ , वह प्राणियों की भाषा को समझते थे |
आज के समय में कोई किसी का नहीं है , सब बादल गया है | अब सब अपने बारे में सोचते है |