Hindi, asked by sagarambedkar2008, 3 days ago

Minin नोट: सभी प्रश्न अनिवार्य हैं। सभी प्रश्नों के 1. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- "तुम्हारी उदासी मेरे लिए बड़ी विधि रही है। सार्थक है, तुमने इस गन्धहीन पुष्प को चरणों ? vyakhaya kijiye​

Answers

Answered by shubhanshudewas2005
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Answer:

असल प्रकाश तो हमारे जीवन में छिपा है - सृजन का प्रकाश ! आदमी का आचरण, आदमी का शील, आदमी का श्रम, आदमी का विवेक और आदमी की भावना जिसे छू लें वह प्रकाशित हो जाए । बड़े बड़े अंधेरों को तराश कर ये प्रकाश निर्झर बहा दें। जवारों और पीताभ गेहूँ के पौधे क्या यह संदेश नहीं देते कि सृजन की यात्रा कभी रुकती नहीं ?

Answer:

गद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या -

असल प्रकाश तो....सृजन की यात्रा कभी रूकती नहीं।

संदर्भः- प्रस्तुत अवतरण ‘तिमिर गेह में किरण आचरण’ से उद्धृत है। इसके लेखक डा. श्याम सुन्दर दुबे है।

प्रसंग:- जीवन में सृजन के प्रकाश की आवश्यकता को दर्शाया है।

व्याख्या:- सृजन अर्थात निर्माण की आवश्यकता और आकांक्षा मनुष्य को स्वयं के अ ंदर से ही प्राप्त होती है। मनुष्य अपने आचरण, शील, श्रम, विवेक और कार्य संपादन की अभिलाषा से जो भी कार्य करेगा वे अवश्य ही पूर्ण होंगे।

अंधकार में प्रकाश का सृजन मनुष्य के द्वारा ही संभव है। गेहूं के उगते हुए पीताभ नन्हें पौधे यह संदेश देते हंै कि निंरतर सृजन अथवा निर्माण प्रकृति का शाश्वत नियम है।

विशेष:-

1. सृजन की पे्ररणा मनुष्य को अपने अंदर से प्राप्त होती है।

2. लेखक ने गेहूं के नन्हें पौधों के माध्यम से निरंतर कर्मरत रहने की प्रेरणा दी है

Answered by AshMaXSiRa
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तुम्हारी उदासी मेरे लिए बङी विधि रही है, मै जब भी तुमको उदास देखती थी तो यह समझती थी की मेरा जन्म सार्थक है ,तुमने इस गंधहीन पुष्प को चरणो तक पहुंचने देने के अयोग्य नही समझा की प्रसंग

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