Hindi, asked by kp383417, 6 months ago

mira ke kavya ki visestaye per prakash daliye​

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Answered by kartikagrawal2007
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मीराबाई की काव्यगत विशेषताएं

निम्नलिखित है :-

• मीराबाई भक्तिकाल की कवियित्री है । इसी

कारणवश मीराबाई के पदों में ' भक्ति भावना'

देखने को मिलता है।

प्रस्तुत पंक्ति में मीराबाई की भक्ति भावना

देखने को मिलता है :-

" भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई।

दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही।। "

• मीराबाई चुकी भक्तिकाल के कृष्ण भक्ति

शाखा की कवियित्री है , इसी वजह से उनके

काव्य में ' कृष्ण भक्ति ' देखने को मिलता है ।

उन्होंने अपने ' प्रभु / आराध्या प्रभु कृष्ण ' को

माना है । वह कहती है -

" 'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो॥ "

• मीराबाई की भक्ति ' दास्य भक्ति भावना ' है।

अतः मीराबाई अपने काव्य में खुद को कई

बार दास्य कहकर संभोदित किया है ।

" पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे।

मैं तो मेरे नारायण की आपहि हो गई दासी रे।

लोग कहै मीरा भई बावरी न्यात कहै कुलनासी

रे॥ "

• मीराबाई के पदों को आज भी गाया जाता है

अतः उनके काव्य में ' गीतितत्व ' का उल्लेख

है ।

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