Mirabai ki bhasha shali pe prakash dalo
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मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की अध्यात्मिक प्रेरणा ने जिन कवियों को जन्म दिया है उनमें मीराबाई की विशिष्ट स्थान है। इनके पद पूरे उत्तर भारत सहित गुजरात, बिहार और बंगाल तक प्रचलित है। मीरा हिंदी और गुजराती दोनों की कवयित्री मानी जाती है। मीरा के कुल सात - आठ कृतियाँ है। मीरा के पदों की भाषा में राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण पाया जाता है। वहीं पंजाबी, खड़ी बोली और पूर्वी का प्रयोग भी मिल जाते हैं। इनके काव्य में:
✳ पर्यायवाची शब्द का प्रयोग हुआ है जैसे हरि, गिरिधर, गोविंद....आदि।
✳ अनुप्रास अलंकार और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
मीराबाई की शैली को गीत शैली कहा जा सकता है। इसमें निजता, अनुभूतिशीलता, मधुरता एवं संगीतात्मक रूप के दर्शन होते हैं।
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