Hindi, asked by binitchhetri, 9 months ago

Mirabai ki Kavya Rachna kis naam se prasidh hai​

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Answered by lahayem444
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Answer:

अपनी कई रचनाओं के माध्यम से मीराबाई ने स्त्री पराधीनता के प्रति नाराजगी जाहिर की है। इस लेख के जरिए आगे की स्लाइड में हम आपको कुछ रचनाओं के माध्यम से बता रहे हैं मीराबाई की कृष्ण भक्ति के बारे में।

श्रीकृष्ण से अपने डर का वर्णन

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श्रीकृष्ण से अपने डर का वर्णन

बादल देख डरी हो, स्याम, मैं बादल देख डरी। श्याम मैं बादल देख डरी। काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी। जित जाऊं तित पाणी-पाणी हुई सब भोम हरी। जाके पिया परदेस बसत है भीजे बाहर खरी। मीरा के प्रभु गिरधर नागर कीजो प्रीत खरी। श्याम मैं बादल देख डरी।

श्रीकृष्ण से अपने डर का वर्णन

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श्रीकृष्ण से अपने डर का वर्णन

अपनी इस रचना के माध्यम से मीराबाई भगवान श्रीकृष्ण को अपने डर के विषय में बता रही हैं। वह कहती हैं कि मेरे प्रभु श्रीकृष्ण आप मेरे से दूर हो और मैं आपकी गैर मौजूदगी में काली-पीली घटा देखकर डर जाती हूं। इतना ही नहीं डर के कारण बाहर निकल आती हूं और यहां खड़ी -खड़ी भीग जाती हूं।

राम का नाम मेरी कई जन्मों की पूंजी5/16

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राम का नाम मेरी कई जन्मों की पूंजी

पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा कर अपनायो। जनम-जनम की पूंजी पाई, जग में सभी खोवायो। खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो। सत की नांव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो। ‘मीरा’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो।

राम का नाम मेरी कई जन्मों की पूंजी6/16

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राम का नाम मेरी कई जन्मों की पूंजी

यहां मीराबाई कह रही हैं कि मैंने तो राम का नाम प्राप्त कर लिया है। यही मेरी कई जन्मों की पूंजी हैं। राम के नाम का जप करने से न तो यह खर्च होता है और न ही इसे चोर लूट सकता है। मेरे भजन करने से यह दिन-प्रतिदिन बढ़ ही रहा है। सभी धन खर्च करने से कम होते हैं लेकिन मेरे प्रभु का नाम बढ़ ही रहा है।

भक्ति में बावली हुई मीरा

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