mishr vakay ki paribhaasha aur sanyukt vakya aur mishr vakya mein antar aur udhaaharan
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मिश्र वाक्य की परिभाषा
ऐसे वाक्य जिनमें सरल वाक्य के साथ-साथ कोई दूसरा उपवाक्य भी हो, वे वाक्य मिश्र वाक्य कहलाते हैं।
मिश्र वाक्योँ की रचना एक से अधिक ऐसे साधारण वाक्योँ से होती है, जिनमेँ एक प्रधान वाक्य होता है एवं दूसरा वाक्य आश्रित होता है।
इस वाक्य में मुख्य उद्देश्य और मुख्य विधेय के अलावा एक या अधिक समापिका क्रियाएँ होती हैं।
मिश्र वाक्य में प्रधान वाक्य को आश्रित उपवाक्य से जोड़ने के लिए जो आपस में ‘कि’; ‘जो’; ‘क्योंकि’; ‘जितना’; ‘उतना’; ‘जैसा’; ‘वैसा’; ‘जब’; ‘तब’; ‘जहाँ’; ‘वहाँ’; ‘जिधर’; ‘उधर’; ‘अगर/यदि’; ‘तो’; ‘यद्यपि’; ‘तथापि’; आदि का प्रयोग किया जाता है।
मिश्र वाक्य के उदाहरण
वह कौन–सा मनुष्य है जिसने महाप्रतापी राजा भोज का नाम न सुना हो।
सयुंक्त वाक्य की परिभाषा
ऐसा वाक्य जिसमे दो या दो से अधिक उपवाक्य हो एवं सभी उपवाक्य प्रधान हों, ऐसे वाक्य को सयुंक्त वाक्य कहते हैं।
सयुंक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल अथवा मिश्र वाक्य अव्ययों द्वारा सयुंक्त होते हैं। ये उपवाक्य एक दूसरे पर आश्रित नहीं होते एवं सयोंजक अव्यय उन वाक्यों को मिलाते हैं।
सयुंक्त वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्यों को और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि का प्रयोग करके जोड़ा जाता है।
वाक्य के उदाहरण :
मीना बहुत बीमार थी अतः स्कूल नहीं आयी।