mithaiwala is path ka uddesh kya hai
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मिठाईवाला
भगवतीप्रसाद बाजपेई
इस कहानी में एक फेरीवाले के अजीबोगरीब व्यवहार के बारे में बतलाया गया है। फेरीवाला कभी खिलौने, कभी मुरली तो कभी मिठाई बेचने आता है। अन्य फेरीवालों की तरह यह निश्चित नहीं होता है कि वह क्या बेचने आयेगा। मजे की बात यह है कि फेरीवाला हर सामान बहुत सस्ते में बेचता है। इस कहानी में एक गृहिणी सूत्रधार की भूमिका में है। वह जब अचंभित होकर फेरीवाले से पूछती है तो उसकी आँखें खुली रह जाती हैं। फेरीवाला कभी एक रईस हुआ करता था जिसका भरापूरा परिवार था। लेकिन भगवान ने उसकी सारी खुशियाँ छीन ली और उसकी दुनिया उजड़ गई। उसके बाद से फेरीवाला बच्चों के लिए तरह तरह की चीजें बेचने लगा। वह ऐसा इसलिए करता था ताकि उन बच्चों में वह अपने बच्चों को देख सके। यह भावुक कर देने वाली दर्दनाक कहानी है।
कहानी से
प्रश्न 1: मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
उत्तर: मिठाईवाला कभी भी पैसे कमाने के उद्देश्य से चीजें नहीं बेचता था। उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। उसका तो एकमात्र उद्देश्य था अन्य बच्चों की खुशी में अपने बच्चों को ढ़ूँढ़ना। इसलिए वह अलग-अलग चीजें बेचता था और महीनों बाद आता था।
प्रश्न 2: मिठाईवाले में वे कौन गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?
उत्तर: मिठाईवाले की आवाज में गजब की मधुरता था। बच्चों द्वारा परेशान किये जाने पर भी वह विचलित नहीं होता था और सबसे मनोविनोद से बात करता था। इसलिए बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे।
प्रश्न 3: विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
उत्तर: ग्राहक हमेशा चाहता है कि उसे चीजों के कम से कम दाम देने पड़े और विक्रेता की कोशिश होती है अधिक से अधिक दाम ले। विक्रेता मुनाफा कमाना चाहता है और ग्राहक पैसे बचाना चाहता है। विजय बाबू को लगता है कि बिना मुनाफे के कोई अपना सामान क्यों बेचेगा। इसलिए उन्हें लगता है कि फेरीवाला उन्हें बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा है। फेरीवाला बताता है कि बाजार में उससे सस्ती मुरली कोई नहीं बेच सकता क्योंकि वह अधिक मात्रा में सामान खरीदता है तब उसे औरों से सस्ता मिलता है।
प्रश्न 4: खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर: खिलौनेवाले के आने पर बच्चे अपना काम धाम छोड़कर उसकी तरफ दौड़े चले आते थे। थोड़ी देर में बच्चे उसे घेर लेते थे और ऊधम मचाना शुरु कर देते थे। हर बच्चा यही चाहता था कि सबसे पहले उसे उसका मनपसंद खिलौना मिले।
प्रश्न 5: रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया?
उत्तर: मुरलीवाले के गाने की शैली हूबहू खिलौनेवाले से मिलती थी। इसलिए रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण हो आया।
प्रश्न 6: किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर: रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया। उसने बताया कि कभी उसका भरा पूरा परिवार था जिसे दुष्ट काल ने उससे छीन लिया। उसके बाद वह हर बच्चे में अपने बच्चों को ढ़ूँढ़ता फिरता है। उसे लगता है कि अन्य बच्चों को खुशी देकर वह अपने बच्चों की आत्मा को शांति पहुँचा पाएगा। इसलिए उसने फेरीवाले का काम शुरु कर दिया।
प्रश्न 7: ‘अब इस बार ये पैसे न लूँगा’ – कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: लगता है कि पहले किसी ने फेरीवाले पर ध्यान नहीं दिया था। रोहिणी ने जब उससे उसकी कहानी जानने की जिज्ञासा की तो फेरीवाला भावुक हो गया और अपनी आपबीती सुनाई। इस दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो आपका दर्द बाँटने के लिए तैयार रहते हैं। इसलिए फेरीवाले ने रोहिणी से पैसे लेने से मना कर दिया।
प्रश्न 8: इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर: आज भी कुछ रुढ़िवादी परिवारों की औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं क्योंकि उन्हें सबके सामने आने की मनाही होती है। आज महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। इसलिए पर्दा करना बिलकुल गलत है।