Hindi, asked by 098765432185, 1 year ago

mitrata Bada Anmol Ratna anuched lekhan in Hindi

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Answered by Anonymous
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मित्रता बड़ा अनमोल रत्न है, सच्चा मित्र ईश्वर का वरदान है I

सच्चा मित्र मिलना हमारा सौभाग्य है I ऊपरी मित्रता निभाने वाले, हमारे सुख में हमारा साथ देने वाले मित्र तो बहुत मिल जाते हैं किन्तु सच्चे मित्र तो कुछ ही होते हैं जो जीवन कि हर परिस्थिति में हमारा साथ निभाते हैं I मित्रों से मन की बात कहकर मन हल्का किया जा सकता है, अन्यथा एकाकीपन अभिशाप कि भांति हमें सताता है I सच्ची मित्रता पानी और मछली जैसी होती है जो एक-दूसरे के दुख में दुखी होते हैंI

विपत्ति के समय साथ देने वाला ही सच्चा मित्र होता है I सच्चे मित्र संकट के समय आगे खड़े रहते हैं I सच्चे मित्र का चुनाव करने मैं सतर्कता बरतनी चाहिए और विवेक से काम लेना चाहिए I जो मित्र के दुख को बड़ा समझे, अवगुणों को हमारे सामने प्रकट कर उन्हें दूर करने मैं सहायता करे, हमें सही मार्ग दिखाए, प्रेरणा दे, पीठ पीछे अहित न करे और मन में कुटिलता न रखे वही सच्चा मित्र होता है I इतने गुणों के परिपूर्ण मित्र का मिलना वास्तव में खजाना पा लेने के सामान है I


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Answered by sarikasahu1912
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Explanation:

मित्रता एक अनमोल रतन के समान होती है। इसका कोई मोल नहीं होता है। लेकिन सच्चे मित्र बहुत ही मुश्किल से मिलते हैं। जीवन में यदि एक भी सच्चा मित्र मिल जाए तो समझना चाहिए कि उसे संसार की सबसे अनमोल चीज मिल गई है। यह विचार कथा व्यास वेदांती महामंडलेश्वर वेदांती जयनारायण महाराज ने मंडी रोड स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महायज्ञ के अंतिम दिन मंगलवार को व्यक्त किए। कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता भी सभी लोगों के लिए अनुकरणीय है। ऐसी मित्रता सभी को करना चाहिए। मित्रता में अमीरी और गरीबी का भेद नहीं होता है। भगवान श्रीकृष्ण जहां राजा थे वहीं सुदामा बहुत ही दरिद्र थे। लेकिन जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आते हैं तो श्रीकृष्ण द्वारा ऐसा आदर सत्कार किया गया था कि वह उसकी कल्पना भी नहीं कर पा रहे थे। साथ ही कथा के दौरान पारीक्षत मोक्ष एवं नौ योगेश्वरों की कथा का वर्णन किया गया। इस अवसर पर पारीक्षित पद्मादेवी मिश्र, डॉ. श्रीमन मिश्र, अशोक गौतम, मुकेश गौतम आदि उपस्थित थे।

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