mitrata par anuched
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मित्रता तो दुनिया का एक ऐसा न मूलधन होता है जिसकी तुलना दुनिया की किसी दूसरी चीज से नहीं की जा सकती है जहां तक के इसकी तुलना सोने चांदी या फिर हीरे मोती से भी नहीं की जा सकती। एक सच्ची मित्रता को दर्शाते हुए बहुत सारे प्रसंग सुनने को मिलते हैं जैसे कृष्ण और सुदामा की दोस्ती अर्जुन और कृष्ण की मित्रता विभीषण और सुग्रीव की राम से सच्ची मित्रता मित्रता के अनोखे उदाहरण पेश करते हैं।
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मित्रता
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अपने जीवन के सुख-दुख दूसरों से बांटना चाहता है। इसलिए वह मित्र की तलाश करता है। वैसे तो हमें अपने चारों ओर और बहुत सारे मित्र दिखाई देते हैं। किंतु वह सब सच्चा मित्र नहीं है। सच्चा मित्र वही होता है जो दोस्त को असत्य से सत्य की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर ग्रीन से प्रेम की ओर और विद्यालय विद्या की ओर ले जाता है। छात्र जीवन में ही जिन गुणों का समावेश उनमें हो जाता है,वह केवल उनके भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यदि इस अवस्था में छात्र की मित्रता गलत दोस्तों से हो जाती है तो उन्हें जीवनभर पश्चाताप करना पड़ता है। यदि सच्चे मित्र की प्राप्ति हो जाए तो विद्यार्थी उन्नति के पथ पर अग्रसर हो जाता है। जैसे मुसलमानों का साथ पाकर धरती की धूल भी आसमान छूने लगता है। इसलिए छात्र जीवन में मित्रता का हाथ बढ़ाने से पहले भली-भांति सोच विचार करना चाहिए। मित्र बनाते समय मित्रता के गुणों को ध्यान में रखना चाहिए। मित्रता कल्पतरु के समान होता है जो सभी मनोकामना को पूर्ण करने वाली होती है।
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