mitti chand khargoshkagj khahani lekhan
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रामपुर गाँव में रतन नामक एक गरीब लकड़हारा रहता था। उसकी पत्नी का नाम रेखा और बेटे का नाम अविनाश था। अविनाश बहुत ही समझदार व परोपकारी लड़का था। गरीबी के कारण अविनाश पढ़ाई करने के साथ ही व्यापार में भी अपने पिता का साथ देता था। वह अपने पिता के साथ लकड़ियाँ काटने और बेचने जाया करता था।
एक दिन पिता की तबीयत ठीक न होने के कारण उसे अकेले ही जंगल में लकड़ी काटने जाना पड़ा। दोपहर का वक्त था। रतन पसीने से लथपथ लकड़ियाँ काटने में जुटा था। उसी जंगल में एक परी रहती थी। उसकी नजर अविनाश पर पड़ी। छोटी-सी उम्र में इतनी कड़ी मेहनत करते देख परी का दिल पसीज गया। उसने अविनाश की परीक्षा लेना उचित समझा। शाम होने को थी। अविनाश काटी हुई लकड़ियों का गट्ठर बनाकर घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसने देखा कि एक बड़ा-सा पत्थर आ गया है। कुछ लोग जो उस रास्ते से आ-जा रहे थे, वे रास्ते में पत्थर होने की वजह से रास्ते के बगल से होते हुए आगे बढ़ रहे थे। रास्ते के अगल-बगल कटीली झाड़ियाँ व दलदली जमीन थी, जो किसी भी राहगीर के लिए घातक साबित हो सकती थी। वह पत्थर देखकर अविनाश को आश्चर्य भी हुआ, क्योंकि सुबह उस राह पर कोई पत्थर नहीं था।
अविनाश ने मन-ही-मन विचार किया कि वह भी यदि अन्य लोगों की भाँति रास्ते के बगल से चला जाएगा, तो आखिर यह पत्थर हटाएगा कौन? और रात के समय कोई मुसाफिर इस रास्ते से गुजरेगा तो उसे खतरा हो सकता है। अत: उसने पत्थर को रास्ते से हटाने का निर्णय लिया। पत्थर बड़ा था। उसे आसानी से हटाना मुश्किल था, लेकिन अविनाश ने भी हार न मानी। इस बीच राह में आने-जाने वाले लोग उसे देखकर भी अनदेखा करते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ते जा रहे थे। आसमान में चाँद निकल आया था। पूर्णिमा की रात थी। हर तरफ चाँदनी बिखरी हुई थी। अविनाश अपने घर जाने से पहले किसी तरह इस पत्थर को बगल कर देना चाहता था। आखिरकार काफी समय मशक्कत के बाद वह कामयाब हो गया। पत्थर को बगल करने के बाद उसकी नजर उस जगह पर पड़ी जहाँ पत्थर था। उसे लगा कि जमीन में मिट्टी के नीचे कुछ है। उसने मिट्टी हटाकर देखा तो वहाँ एक मटका था। उसने मिट्टी खोदकर उस मटके को निकाला। जब उसने मटके का मुँह खोलकर देखा, तो उसमें एक खरगोश व कागज का टुकड़ा था। अविनाश ने खरगोश को पहले बाहर निकाला फिर उसने कागज को मटके में से निकाला तो उसने देखा कि उसमें कुछ लिखा है। उसने पढ़ना शुरू किया, ’मैं जंगल की परी हूँ। मैंने तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए यह बड़ा-सा पत्थर रास्ते में रखा था। तुम परीक्षा में सफल हुए। अब यह जादुई खरगोश तुम्हारा है। इस खरगोश से तुम जो कुछ भी माँगोगे, वह तुम्हारे सामने फौरन पेश कर देगा।“अविनाश बहुत प्रसन्न हो गया। खरगोश के साथ घर लौटकर उसने अपने माता-पिता को सारी बात बताई। जादुई खरगोश ने अविनाश की गरीबी दूर कर दी और उसका परिवार खुशहाल जीवन बिताने लगा।
सीख: परोपकारी व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा होती है।
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Answer:
जो शब्दांश या शब्द, मूल शब्द के आगे जुड़कर नए शब्द बनाते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं। जो शब्दांश या शब्द, मूल शब्द के पीछे जुड़कर नए शब्द बनाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। अन- + एक - अनेक अन- + आदर - अनादर अन- + आसक्ति - अनासक्ति अन- + गिनत - अनगिनत - (अभाव के 1 अर्थ में) ।
Explanation:
10 thanks =100 thanks
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