Mitti tere roop anek par anuched?
Answers
मिट्टी तेरे रूप अनेक पर अनुच्छेद।
Explanation:
मिट्टी के रूप यानी इंसान। जी हाँ! हम और इस दुनिया में जीतने भी जीवित प्राणी हैं सभी तो इसी मिट्टी से तो बने हुए हैं। कोई थोड़ा काला हैं तो कोई थोड़ा गोरा। कोई थोड़ा ऊंचा हैं तो कोई थोड़ा नाटा। परंतु मौलिक तौर पर हम सब इसी मिट्टी से तो बने हुए हैं और इसी मिट्टी में आखिर में मिलना ही हैं।
संसार में लोगों की खूबसूरती को लेकर अकसर कई बाते पढ़ने को मिलती हैं, परंतु इन बातों की व्यावहारिकता कितनी हैं इसका पता तो इसी बात से पता चलता हैं की, आखिर में हर किसी को मिट्टी में मिलना ही हैं, बस कुछ क्षणों के लिए हम मिट्टी के अनेक रूप लेकर धरती पर विचरण करते हैं।
Explanation:
हमारा शरीर मिट्टी से बना है और एक दिन मिट्टी में ही मिल जाता है। मिट्टी के बारे मे आम धारणा यह है कि मिट्टी का कोई मूल्य नहीं है। प्रायः कहा जाता है कि तुमने इसे मिट्टी में मिला दिया अर्थात् बेकार कर दिया। वैसे मिट्टी के विविध उपयोग हैं। मिट्टी के अनेक रूप हैं। मिट्टी की हस्ती कभी नहीं मिटती। इसे चाहे कितना भी कूटो-पीटो, यह मिट्टी ही बनी रहती है मिट्टी के खिलौने बनते है, मिट्टी के खिलौने बनते है, घड़े- बरतन बनते हैं, मूर्तियाँ बनती हैं। मिट्टी की उर्वरा शक्ति ही हमें खाने के लिए अन्न प्रदान करती है। शिशु को मिट्टी बहुत प्रिय होती है। वह इससे खेलता है और कभी खा भी लेता है। सैनिक मातृभूमि की मिट्टी की धूल को अपने माथे से लगाकर रणभूमि में बलिदान दे देता है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी मिट्टी का बहुत महत्त्व है।