Mobile नसते तर निबंध लेखन 400 शब्दांत
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भारत में 1990 के दौरान सबसे पहले मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करने की शुरुवात हुई। शुरुवात में जो मोबाइल फ़ोन आये थे सभी लैंडलाइन के डिब्बे के तरह ही बड़े थे। उस समय मोबाइल फ़ोन को एक ऐन्टेना लगा हुआ रहता था और उसीकी वजह से मोबाइल फ़ोन काफी भारी भी थे और इस तरह से ही मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करने की शुरुवात हुई।
लेकिन धीरे धीरे सभी जगह पर लैंडलाइन की जगह मोबाइल फ़ोन ने ले ली। समय के साथ मोबाइल फ़ोन छोटे भी होते गए उसकी वजह से लोग ज्यादातर मोबाइल फ़ोन का ही इस्तेमाल करने लगे।
आज के समय में मोबाइल फ़ोन कई तरह के काम कर सकते है। मोबाइल से टेक्स्ट मेसेज भेजे जा सकते है, विडियो मेसेज भेजने का काम भी मोबाइल से ही किया जाता है। और भी कई सारी सुविधाए है जो मोबाइल फ़ोन देता है।
किसी भी चीज की खोज करने के बाद उसकी कीमत धीरे धीरे कम होती जाती है। यही बात मोबाइल फ़ोन के साथ भी हुई और मोबाइल फ़ोन की कीमत धीरे धीरे कम होने लगी। आज मोबाइल फ़ोन इतने सस्ते हो चुके है की पाच सौ रुपये में भी मोबाइल फ़ोन मिल जाते है।
भारत में आज हर व्यक्ति हे पास में एक मोबाइल फ़ोन है। सब्जी बेचनेवाला, बस कंडक्टर, छात्र, ऑफिस जाने वाले लोग इनमेसे सभी लोगो के पास मोबाइल फ़ोन जरुर होता है। इस छोटेसे गजेट ने पूरी दुनिया को खुद की तरफ़ आकर्षित कर लिया है।
मोबाइल फोन की वजह से ही कोई भी, कभी भी, किसीसे भी बात कर सकता है और उससे मिल भी सकता है, और यह सब कुछ मोबाइल फ़ोन की वजह से ही मुमकिन हुआ है।
आप अपने मोबाइल फ़ोन से ईमेल में भी चेक कर सकते है। हम अपने खाली समय में मोबाइल पर गेम्स भी खेल सकते है।
मोबाइल फ़ोन पर आप संगीत भी सुन सकते हो, विडियो क्लिप भी देख सकते हो। अगर आपको फोटो निकालना पसंद है तो आप मोबाइल फ़ोन से अच्छे अच्छे फोटोज भी खीच सकते हो।
लेकिन मोबाइल फ़ोन का गलत इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य से जुड़े कई सारी नयी समस्याए सामने आ चुकी है जैसे की लम्बे समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करने से पुरुषो में शुक्राणु की संख्या कम होती जा रही है। बच्चे परीक्षा में मोबाइल का गलत इस्तेमाल करके पेपर में आंसर लिखते है।
ऐसी टेक्नोलॉजी का क्या फायदा जो हमें अशांत, बेसब्र बना देती है, हमारे दिन का हर महत्वपूर्ण समय को हमसे छीन लेती है। हम बिच बिच पर घूमते तो है लेकिन समुद्र की लहरों की आवाज सुन नहीं पाते। कोई भी नयी टेक्नोलॉजी आने के बाद उसके कुछ फ़ायदे और नुकसान होते है लेकिन यह उस इन्सान की जिम्मेदारी है की वह किस तरह से उस नयी प्राद्योगिकी का इस्तेमाल करता है।