Mobile phone k labh aur hani ko btate hue apne chote bhai ko patr likhiye
Answers
Explanation:
दिनांक : 24 जून 2020
दिन :बुधवार
प्रिय भाई ,
शुभांक
आशा करती हूं कि सब घर पर सब कुशल मंगल होंगे और तुम और तुम्हारी पढ़ाई अच्छे से चल रही होगी आज मैं तुम्हें फोन के लाभ और हानि के बारे में बताऊंगी फोन के बहुत सारे लाभ हैं उससे हम किसी से भी बात कर सकते हैं चाहे वह कितना भी दूर हो .कौन से हमारी पढ़ाई भी हो सकती है अगर हमें कोई चीज समझ में नहीं आ रही है तो गर्म फोन पर देखेंगे तो वह हम लोग को समझ में आ जाएगी फोन से हम लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं ,हम बहुत सारे नए तरीके के बारे में भी जान सकते हैं कि हमने जीवन में कैसा रहना चाहिए .
फोन हमें देश दुनिया के समाचार में भी मदद करता है .लेकिन जहां पर फोन के लाभ है वही उनके बहुत सारे हानि भी है कभी भी फोन कब गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बच्चे फोन से ही खराब हो जाते हैं ऐसे बहुत सारे इंसानों को ठगने का भी काम होता है कि उन्हें फोन करके और किसी पैसे के बारे में बता जाए और उनसे उनका हर चीज मांगा जाए सारे ऐसे गेम्स भी है जो बच्चों को नहीं खेलना चाहिए और वह फोन ही के माध्यम से उनको खेलते व सीखते हैं एक बार तो बच्चे पढ़ते नहीं है और सिर्फ फोन पर लग जाते क्योंकि उन्हें यह चीज करने में मजा आता है के लिए जितना बच्चों के लिए फोन की जरूरत होगी उतना ही योग करना चाहिए आशा करती हूं कि तुम मेरी बात को समझो और तुम भी फोन का ज्यादा इस्तेमाल ना करो मां पिताजी को मेरा प्रणाम करना भगवान करे तुम बहुत खुश रहो .
तुम्हारी दीदी
आत्या
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Athiya
@DelhiQueen ❤❤
Answer:
यह पत्र भाई को लिखा जा रहा है मतलब यह पत्र अनौपचारिक पत्र है।यह पत्र हम अपने रिश्तेदारों को लिखा करते है।
Explanation:
129/26 मयूर विहार कॉलोनी,
न्यू दिल्ली।
दिनांक:
प्रिय राहुल,
खूब स्नेह!
आशा है तुम छात्रावास में प्रसन्न होगे। तुम्हारी पढ़ाई भी ठीक चल रही होगी।
तम्हें छात्रावास में देखकर मुझे अपने छात्रावास के दिन याद आ रहे हैं। मुझे याद है कि मेरी कुछ सहेलियाँ घंटों-घंटों मोबाइल पर बातें करने में लगी रहती थीं। यह उनके टाइम पास करने का एक रोचक उपाय था। इस कारण न तो वे अपनी अन्य सहेलियों से बातें कर सकतीं थीं और न ही ठीक से पढ़ पातीं थीं। बाद में उन्हें महसूस होता था कि उनका काफी समय मोबाइल ने ही खा लिया है। मैंने शुरू से ही अपनी इस आदत पर नियंत्रण पा लिया था।
मैं तुम्हें यह बात इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि मैंने ऐसे लोगों को बाद में पछताते हए देखा है। मैंने सोचा कि अपना यह अनुभव तुम्हें दे दूँ। बाकी तुम खुद बहुत समझदार हो। इसलिए तुम स्वयं अपने पर संयम रख लोगे। कुछ भी परेशानी और ज़रूरत हो तो मुझे लिखने में देर न लगाना।
तुम्हारी बहन,
स्वाति