Hindi, asked by Rajkumar45344, 1 year ago

mobile phone par padhai karne se hone wale nuksan per nibandh likhe....

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Answered by shivang453
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मोबाइल आज हमारी जिन्दगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। मोबाइल के बिना आज कोर्इ अपनी जिन्दगी की कल्पना भी नहीं कर सकता और उसे हमेशा अपने नजदीक ही रखना चाहता है। निश्चित रूप से मोबाइल द्वारा पारिवारिक, सामाजिक संपर्क बढ़ है और इसके माध्यम से लोग अपनी भावनाओं को अभिवयक्त करने में अधिक सहज हुए है। सही कारण है कि वर्तमान की आधुनिक जीतन शैली में मोबाइल का एक महत्पूर्ण स्थान है, लेकिन जहाँ इससे अनेक फायदें है, वहीं कुछ नुकसान भी है। अनावश्यक बातचीत-घंटों मोबाइल से बातें करते रहने की आदत से एक ओर तो व्यकित कीमती समय नष्ट होता है। वहीं कर्इ तरह की शारिरीक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ भी पैदा होती है, जिसमें सबसे अधिक श्रवण शक्ति का प्रभावित होना, हाथ की मांसपेशियों में तनाव होना व मस्तिष्क का प्रभावित होना मुख्य है।
निश्चित रूप से मोबइल के माध्यम से लोगों के मध्य की दूरियाँ कम हुर्इ है और अपने प्रिय जनों से अधिक संपर्क बढ़ा है, लेकिन इसे हमेशा नजदीक रखने के कुछ नुकसान भी है, जिन्हें जानना अत्यंत आवश्यक है। वैज्ञानिक शोध निष्कर्षो में ऐसा पाया है कि मोबइल फोन और इसके टावर से निकलने वाली रेडिएशन व्यक्ति की पाचन शक्ति को कमजोर कर सकती है और उसके कारण ठिक से नींद ना आने की बीमारी और एकाग्रता की कमी हो सकती है। अक्सर लोग सोते समय मोबाइल को अपने तकिए के नीचे वाइब्रेटर या साइलेंट मोड पर करके सो जाते है, लेकिन मोबाइल को इस तरह रखने का तरीका स्वास्थ्य को अधिक नुकसान पहुँचा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया के एक शोध के अनुसार मोबाइल को वाइब्रेशन मोड पर ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से कैंसर का खतरा अधि होता है। इसका कारण यह है कि मोबाइल के सिग्नल के लिए जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें आती है, वे दिमाग की कोशिकाओं की वृद्धि को प्रभावित करती है और इससे टयूमर विकसित होने की संभावना अधिक होती है। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शलभा गुप्ता के अनुसार- मोबाइल टावर से मोबाइल फोन को जोड़ने के लिए जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें निकलती है वे मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास को प्रभावित करती है। चूँकि मस्तिष्क के भीतर भी सुचनाओं का आदान-प्रदान इलेक्ट्रोमैग्नंटिक तरंगों के माध्यम से होता है, अत: मोबाइल को तकिए के पास रखने से दिमाग की प्रकृतिक तरंगें प्रभावित होती है। इसके कारण शरीर में कैंसर सहि त कर्इ तरह की परेशानियाँ बढ़ने का खतरा है। मस्तिष्क की प्रकृतिक तरंगों में बाधा पहुँचाने के कारण इसकी कोशिकाओं का स्वाभिक विकास रूक जाता है और वे पुर्ण विकसित होने से पहलें ही विभाजित होने लगती है एवं टयुमर बना लेती है।
मोबाइल फोन, लैंड़ लाइन, या फिर पब्लिक फोन आदि सूचना क्रांति की महत्वपूर्ण सौगात है और इसकी किसी न किसी रूप में आवश्यकता पड़ती ही रहती है। लेकिन इसके माध्यम से कर्इ तरह के छुत के रोग फैलते है। सर्वेक्षण अध्ययन यह बताते है कि फोन पर पाए जाने वाले रोगाणुओं आम बीमारियों जैसे- सरदी, जुकाम, खाँसी आदि के रोगाणु काफी अधिक संख्या में मौजुद रहते है और इनकी सबसे अधिक संख्या माउथपीस में मौजुद होते है। यह बात पुरी तरह से स्पष्ट है कि वर्तमान परिस्थितियों में संचार क्रांति की इस महत्त्वपूर्ण तकनिकी प्रगति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसका प्रयोग करने से भी स्वंय को रोकना ठिक नहीं है।
लेकिन कुछ सावधानीयों पर यदि ध्यान दिया जा सके तो इन के प्रयोग से होने वाले दुष्परिणमों से आसानी से बचा जा सकता है, जैसे फोन पर अनावश्यक बात-चीत न करें यदि व्यक्ति बीमार है तो यथासंभव फोन का इस्तेमाल ने करें। टेलीफोन को प्रयोग करने से पूर्व एवं उसकी सफार्इ करें और मोबाइल की भी समय-समय पर सफार्इ अवश्य करें।

shivang453: hi
Answered by bhatiamona
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मोबाइल फ़ोन पर पढ़ाई करने से होने वाले नुकसान पर निबंध लिखे....

मोबाइल फोन का प्रयोग हम पढ़ाई के लिए कर सकते है , पर इसका यह मतलब नहीं की हमें सारी पढ़ाई के लिए फोन पर ही निर्भर हो जाना चाहिए | फोन ज्यादा इस्तेमाल करने से हमारा ही नुकसान होता है|  

मोबाइल फोन से पढ़ाई करने से हमें प्रश्न के उत्तर तो आसानी से मिल जाते है , लेकिन हमारे सोचने की क्षमता खत्म होती जाती है , हम उसी पर ही निर्भर हो जाते है|

दृष्टि की कमी

चिंता, तनाव और अवसाद दोस्तों और अन्य लोगों के साथ 24 घंटे के संबंध के कारण छात्रों द्वारा सामना की जाने वाली कुछ समस्याएं हैं। एक अध्ययन के अनुसार, मन की उलझन की वजह से छात्र अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करने में विफल रहते हैं।

मन की उलझन की स्थिति क्या है? एक बार जब वे हर समय अपने फोन को अपने पास रखना शुरू कर देते हैं, तो किशोर मन की गहन स्थिति में पहुंच जाते हैं।

नींद नहीं आती है

लगातार अपना फोन चेक करते हैं |

सोने के बावजूद, वे तनाव मुक्त नहीं हैं |

हमारी आँखों पर बहुत असर पड़ता है|

एकाग्रता की कमी

भारी इंटरनेट और मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं को एकाग्रता की कमी और चीजों को आसानी से भूल जाने का खतरा है|

यह उनकी जागरूकता को भी प्रभावित करता है और अंततः निष्क्रिय दिमाग को जन्म देता है इसके अलावा, इससे कमजोर ध्यान और ध्यान भी जाता है|

मोबाइल के ज्यादा प्रयोग करने से तनाव होता है|  मोबाइल से निकलने वाली रेडियो तरंगें स्वास्थ्य पर खराब असर डालती हैं. अब और उनमें मस्तिष्क के कैंसर का खतरा हो सकता है|

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