Mohenjo Daro ke upar anuchchhed ine Hindi
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Explanation:
मोहन जोदड़ो की खोज साल 1922 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के ऑफिसर R. D. Banerji आर. डी. बनर्जी ने किया था। यह शहर का अवशेष सिन्धु नदी के किनारे सक्खर ज़िले में स्थित है। हड्डापा में दो साल तक बहुत ही ज्यादा खुदाई के बाद, हड्डापा से कुछ 590 किलोमीटर उत्तर दिशा में मोहन जोदड़ो की खोज हुई। साल 1930 में इस जगह में बहुत ज्यादा खुदाई की गयी जॉन मार्शल, के. एन. दीक्षित, अर्नेस्ट मक्के के निर्देश के अनुसार।
बाद में मोहन जोदड़ो की ज्यातर खुदाई साल 1964-1965 में डॉ. जी. ऍफ़. डेल्स ने किया। इसके बाद इसकी खुदाई को रोक दिया गया ताकि इसकी संरचनाओं को सुरक्षित रखा जा सके और अपक्षय तथा गलने से रोका जा सके।यह माना जाता है की यह शहर 200 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था और कहा जाता है 100 साल में जितना भी खुदाई हुआ है वह मात्र इस सहर का एक तिहाई ही है। इसकी खुदाई में बड़े पैमाने में इमारतें, धातुओं की मूर्तियाँ और मुहरें आदि मिलें हैं।
Answer:
मोहन जोदड़ो की बातें इतिहास के पन्नों में बहुत ही मशहूर है। मोहन जोदड़ो प्राचीन सिंधु घाटी का रहस्यामी महानगर है जो की अभी दक्षिणी एशिया के सिन्धु नदी के पश्चिम में लरकाना डिस्टिक, पाकिस्तान में मौजूद है। मोहन जोदड़ो का अर्थ है “मुर्दों का टीला”।
यह मनुष्य द्वारा निर्मित विश्व का सबसे पुराना शहर माना जाता है जो की सिन्धु घटी की सभ्यता से जुड़ा है। यह पहले भारत में था परन्तु 1947 के बाद पाकिस्तान के अलग होने पर यह पाकिस्तान का हिस्सा है।