Science, asked by swatisharma82500, 3 months ago

mreeda kise khte h mreeda Kitne prakar ki hoti h​

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Answered by nidhikumari66160
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Answer:

मृदा भूपृष्ठ पर मिलने वाले असंगठित पदार्थों की वह ऊपरी परत है जो मूल चट्टानों अथवा वनस्पति के योग से बनती है।

Explanation:

मृदा के प्रकार (mrida ke prakar)

1. जलोढ़ मिट्टी

जलोढ़ को काँप, दोमट, कछारी या चीका मिट्टी भी कहा जाता है। इस मिट्टी का निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाये गये अवसाद के जमाव द्वारा होता है। यह मिट्टी हल्के भूरे रंग की होती है। खुदाई करने पर यह मिट्टी 490 मीटर की गहराई तक पाई गई है। इस मिट्टी मे नेत्रजन, फास्फोरस और वनस्पति अंशों की कमी होती है, परन्तु पोटाश और चूना पर्याप्त मात्रा मे पाया जाता है। यह मिट्टी भारत के काफी बड़े क्षेत्र मे पाई जाती है। यह मिट्टी भारत के 40% भाग पर पाई जाती है।

2. काली या रेगड़ मिट्टी

इस मिट्टी को रेगड़ या कपास वाली काली मिट्टी भी कहते है। इसका रंग गहरा काला और कणों की बनावट बारीक व घनी होती है। इस मिट्टी की रचना अत्यंत बारीक मृतिका (चीका) के पदार्थों से हुई है। इसलिए इस मिट्टी मे अधिक समय तक नमी धारण करने की क्षमता पाई जाती है।

3. लाल मिट्टी

यह मिट्टी शुष्क और तर जलवायु मे प्राचीन रवेदार और परिवर्तित चट्टानों के टूट-फूट से बनती है। यह मिट्टी लाल, पीली, भूरी, आदि विभिन्न रंगों की होती है। प्राय: इसमे लौह-अयस्क होने के कारण इसका रंग लाल होता है। ताप्ती नदी घाटी मे पहाड़ियों के ढ़ालो पर लगातार अधिक गर्मी पड़ने से चट्टानों के टूटने पर उसमे मिला हुआ लोहा मिट्टी मे फैल जाता है जिससे इसका रंग लाल हो गया है। इस मिट्टी मे अनेक प्रकार की चट्टानों से बनी होने के कारण गहराई और उर्वरा शक्ति मे भिन्नता पाई जाती है। यह मिट्टी अत्यंत रन्ध्रयुक्त है।

4. लैटेराइट मिट्टी

इस मिट्टी का निर्माण ऐसे भागों मे हुआ है जहाँ शुष्क व तर मौसम बारी-बारी से होता है। यह मिट्टी लैटेराइट चचट्टानों की टूट फूट से बनती है। यह मिट्टी चौरस उच्च भूमियों पर मिलती है। इस मे लोहा ऑक्साइड और पोटाश की मात्रा अधिक होती है। लैटेराइट मिट्टी तीन प्रकार की होती है--

(अ) गहरी लाल लैटेराइट मिट्टी

(ब) सफेद लैटेराइट मिट्टी

(स) गहरी जल वाली लैटेराइट मिट्टी

यह तमिलनाडु के पहाड़ी भागों और निचले क्षेत्रों, कर्नाटक के कुर्ग जिले, केरल राज्य के चौड़े समुद्री तट, महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले, पश्चिम बंगाल के बेसाल्ट और ग्रेनाइट पहाड़ियों के बीच तथा उड़ीसा के पठार के ऊपरी भागों और घाटियों मे मिलती है।

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