Mudra ke aadhunik prakaro ne hamare Jeevan ko kis prakar saral Kiya ?
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मुद्रा (currency, करन्सी) पैसे या धन के उस रूप को कहते हैं जिस से दैनिक जीवन में क्रय और विक्रय होती है। इसमें सिक्के और काग़ज़ के नोट दोनों आते हैं। आमतौर से किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है। मसलन भारत में रुपया व पैसा मुद्रा है।
मुद्रा के बारे में हम उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के आधार पर बात कर सकते हैं। सामान्यतः हम मुद्रा के कार्यो में विनिमय का माध्यम, मूल्य का मापक तथा धन के संचय तथा स्थगित भुगतानों के मान आदि को शामिल करते है। विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने मुद्रा की परिभाषा उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के आधार पर दी है। मुद्रा में सामान्य स्वीकृति के गुण का होना बहुत जरूरी है यदि किसी वस्तु में सामान्य स्वीकार होने की विशेषता नहीं है तो उस ‘वस्तु’ को मुद्रा नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार, मुद्रा से अभिप्राय कोई भी वह वस्तु है जो सामान्य रुप से विनियम के माध्यम, मूल्य के माप, धन के संचय तथा ऋणों के भुगतान के रुप में स्वीकार की जा सकती है।