mufta shabd kis prakar ka h nukata, anunasik ,ayogavah
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अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर....
अनुस्वार वे व्यंजन होते हैं, जो स्वर के बाद आते हैं। अनुस्वार की ध्वनि नाक से निकलती है। अनुस्सवार पंचम वर्ण अर्थात ङ्, ञ़्, ण्, न्, म् के जगह पर प्रयुक्त किये जाते हैं। इसमें बिंदु का प्रयोग होता है।
जैसे.. आनंद, प्रारंभ, भयंकर, आशंका, चिंतित आदि।
अनुनासिक वे स्वर होते हैं, जो जिनमें मुँह से अधिक और नाक से कम ध्वनि निकलती है। इसमें चंद्र बिंदु का प्रयोग होता है।
जैसे... पाँच, दाँत, साँप, बाँध, हँस, साँस आदि।
अनुस्वार व अनुनासिक में मुख्य अंतर ये है कि अनुस्वार मूल रूप से व्यंजन है, जबकि अनुनासिक मूल रूप से स्वर है।
अनुस्वार व अनुनासिक के प्रयोग किसी शब्द के अर्थ में पूरी तरह से अंतर आ सकता है।
जैसे अनुस्वार वाला शब्द है, हंस जो एक पक्षी है। इसका अनुस्वार बिंदु हटाकर उसके स्थान पर इसमें अनुनासिक वाला चंद्र बिंदु प्रयोग किया जाये तो ये शब्द बन जाएगा.. हँस
हँस का अर्थ होगा..हँसने यानि मुस्कराने की क्रिया।