History, asked by niharikaparmar2003, 9 months ago

Mughal darbar ki karya pranali par tippani kijiye...(in hindi) (200-300 words
plz... help me it's urgent...
I'll mark you as brainlist.

or jisko ans. nahi pata vo bilkul bhi ese ans.na de...like: "I don't know..."​

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Answered by purujitpranshu
2

Answer:

मनसब, दरअसल फारसी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब पद, ओहदा या दर्जा होता है.

मनसब व्यवस्था की शुरूआत खलीफा अब्बा सईद नाम के शख्स ने किया था. लेकिन कब, इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है.

बाद में मंगोल शासक चंगेज खां ने अपने सैन्य प्रशासन का गठन, इस व्यवस्था के अंतर्गत ही किया था. उसकी सेना दशमलव प्रणाली पर आधारित थी. इसकी सबसे छोटी इकाई 10 थी और सबसे बड़ी ईकाई 10,000.

खैर, हम मुगलों पर लौटते हैं.

तीसरे और महान मुगल बादशाह कहे जाने वाले जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर ने सबसे पहले भारत में मनसबदारी व्यवस्था की नींव रखी थी.

अकबर ने 1552 में सत्ता संभाली थी, जब वो केवल 14 साल का था.

शुरूआत में कुछ सालोंं तक तो अकबर दूसरों के नियंत्रण में रहा, लेकिन जब उसकी उम्र लगभग 21 साल हुई, तो उसने जल्द ही अपने बाधक बने लोगों को रास्ते से हटाया और सत्ता का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया.

भारत में बिखरी राजनीतिक परिस्थितियों को देखकर वो समझ गया था कि यहां शासन चलाने के लिए सैन्य प्रणाली पर आधारित एक शक्तिशाली प्रशासनिक व्यवस्था की जरूरत है.

इसलिए उसने मनसबदारी व्यवस्था की शुरूआत की.

इसके तहत उसने अधिकारियों की नियुक्तियां की और उनको सैनिक और असैनिक दोनोंं तरह के अधिकार सौंपे.

ऐसी होती थी मनसबदारी व्यवस्था

मनसब का सीधा सा मतलब होता था कि मुगल प्रशासन में किसी को कोई औहदा देना. और जिसे उस पद पर तैनात किया जाता, उसे मनसबदार कहा जाता था.

इसके तीन स्तर होते थे. पहला था, उमरा, जो सबसे छोटे मनसबदार को कहा जाता था.

उसके बाद आता था अमीर-ए-उमदा. ये मध्यम स्तर का मनसबदार होता था. और सबसे बड़ा था अमीर-ए-आजम.

अब सवाल ये कि इनके स्तरों का निर्धारण कैसे होता था.

दरअसल, मनसबदारी व्यवस्था में दो महत्वपूर्ण शब्दों का उपयोग किया जाता है. पहला, जात और दूसरा सवार.

जात का मतलब होता था, किसी व्यक्ति को सौंपा गया व्यक्तिगत पद और दूसरा होता था सवार, यानी किसी भी मनसबदार को कितने घुड़सवार मिलेंगे.

घुड़सवारों की संख्या ही तय करती थी कि दरबार में किसका कितना बड़ा औहदा है.

बादशाह अकबर ने मनसब की सबसे छोटी इकाई जो निर्धारित की थी, उसमें 10 से लेकर 500 तक घुड़सवार होते थे. और सबसे बड़ी इकाई करीब 14,000 घुड़सवारों की थी.

ये सामान्यत शहजादों को ही मिला करती थी, या बादशाह के खास विश्वासपात्रों को.

Answered by anushkasharma8840
8

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