muglo ke shin mansab pranali काsanchhipt वर्णन कीजिए in hindi in 500 words
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मुगल प्रशासन में मनसबदारी व्यवस्था :-
मुग़ल साम्राज्य के मनसबदारी व्यवस्था के अंतर्गत सबसे छोटे मनसबदार को 10 जात का मनसब दिया जाता था. इन मनसबदारों में मानसिंह को 7000 जात का मनसब मिला हुआ था जबकि भगवान् दास को 5000 जात का मनसब. वे दोनों साम्राज्य की शासन व्यवस्था और मनसबदारी प्रणाली के अनतर्गत अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किये हुए थे.
इसकी प्रकृति :-
मनसबदारी प्रणाली ने शाही संरचना में विभिन्न अनुभागों का गठन किया था. ये मनसबदार मुग़ल साम्राज्य के न केवल दृढ स्तम्भ कहे जाते थे बल्कि मुग़ल प्रणाली की मजबूत आधारशिला का निर्माण भी करते थे. इस प्रणाली के अंतर्गत यदि कोई अमीर सिर्फ मनसब ग्रहण करता था तो उसे कोई महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त नहीं होता था लेकीन जैसे ही उसे किसी जागीर का स्वामी बना दिया जाता था तो उसे उस जागीर से भूमिकर कर प्राप्त करने का अधिकार मिल जाता था. इस प्रणाली के अंतर्गत यदि किसी को जागीर का अधिकार दिया जाता था तो इसका यह अर्थ नहीं कोई वह उस जागीर के सन्दर्भ में पूरी तरह से निरंकुश जो जाये बल्कि वह सम्राट के प्रत्यक्ष नियंत्रण में रहता था. इस व्यवस्थ में जागीर प्राप्त अमीर को उसकी सेवा के बदले में जागीर दी जाती थी(केवल भूमि ही नहीं)जो उसका वेतन होता था.
गठन :-
जैसा कि उपर्युक्त प्रणाली से यह मालूम हुआ की प्रत्येक मनसबदार को उसकी सेवा के बदले में कुछ भूमि जागीर के रूप में प्रदान की जाती थी जो उसके वेतन के रूप में भी होता था. इस जागीर से मनसबदार सभी प्रकार के कर के अलावा अन्य कर भी वसूल करने का अधिकारी होता था जोकी सम्राट के द्वारा उसे प्रदान किये गए अधिकार को दर्शाता था. ध्यातव्य है की उस जागीर से प्राप्त कर की राशि में से मनसबदार के वेतन को काट लिया जाता था उसके बाद बची हुई शेष राशि को मनसबदार को मुग़ल खजाने में जमा करना पड़ता था. मनसबदार को उस जागीर से प्राप्त राशि से ही अपने घुड़सवार सेना को भी बनाये रखना पड़ता था. मनसबदार अपने घुड़सवारों को नकदी और जागीर के रूप में भी वेतन देता था. नकदी प्राप्त करने वाले घुड़सवार को नकदी घुड़सवार और जागीर प्राप्त करने वाले घुड़सवार को जागीरदार घुड़सवार कहते थे. इस प्रकार अकबर के अधीन मनसबदारी प्रणाली कृषि और जागीरदारी प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा बन गया. जैसा की इसके संस्थागत रूप से पता चलता है की जब भी जरुरत पड़ती थी तो किसी भी मनसबदार को नागरिक प्रशासन से सैन्य विभाग और सैन्य विभाग से नागरिक प्रशासन के अंतर्गत स्थानांतरित कर दिया जाता था.