muhavre or lokokti me aantar?
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मुहावरा वाक्य का अंश होता है। मुहावरे का प्रयोग वाक्य के अंत, आरम्भ और बीच में कही भी किया जा सकता है। ... मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता है। लोकोक्ति का अर्थ है लोक+उक्ति यानी लोकोक्तियाँ लोक में प्रचलित उक्ति होती हैं जो भूतकाल का लोक अनुभव होती है।
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मुहावरा (Muhavare) लोकोक्तियाँ (Lokokti) अथवा कहावत
मुहावरे अपना शाब्दिक अर्थ छोड़कर नया अर्थ देते हैं। जैसे “तोते उड़ जाना’ में तोते उड़ना नहीं वरन घबरा जाना का भाव दिखाई देता है। लोकोक्तियाँ विशेष अर्थ देती हैं, परन्तु उनका शाब्दिक अर्थ भी बना रहता है। जैसे “नाच ना आवे आँगन टेढ़ा” में किसी कारी में अकुशल व्यक्ति द्वारा साधनों को दोष देने का भाव दिखाई देता है किन्तु नाच, आँगन आदि के ही शाब्दिक अर्थ का सहारा लेकर बात स्पष्ट की गई है।
मुहावरों के अंत में क्रियापद होता है। जैसे “हाथ मलना” यहाँ मलना क्रिया पद का प्रयोग हुआ है। लोकोक्ति (Lokokti) के अंत में क्रियापद का होना अनिवार्य नहीं। जैसे “अंधेर नगरी चौपट राजा”
मुहावरों में वाक्य अनुसार परिवर्तन होता है। मुहावरा सामान्यतः एक वाक्यांश होता है जिसके रूप में लिंग, वचन व क्रियापद कारक के अनुसार परिवर्तन आता है। लोकोक्तियाँ अपने-आप में एक पूर्ण वाक्य होती हैं। प्रयोग के बाद भी इनमें व्याकरण के नियमों यथा लिंग, वचन, क्रिया आदि के अनुसार कोई अंतर नहीं आता। पूर्ण इकाई होने के कारण लोकोक्ति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता है।
मुहावरों के अंत में अधिकतर ‘ना’ आता है जिससे क्रियापद का बोध होता है। जैसे “आग-बबूला होना”। लोकोक्तियों के अंत में “ना” का होना सामान्यतः नहीं पाया जाता। जैसे “पांचों उँगलियाँ