Munshi Premchand ka jeevan parichay in short
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मुंशी प्रेमचंद एक बहुत गुणी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे. प्रेमचन्द अपनी हिंदी और उर्दू भाषी रचनाओ के लिए जाने जाते है. प्रेमचंद को “कलम के सिपाही” की संज्ञा भी दी गयी है.उनकी हिंदी और उर्दू भाषा में अच्छी पकड़ थी. वे बनना तो वकील चाहते थे लेकिन हालत ने उन्हें साहित्यकार बना दिया. उन्होंने अपना बचपन बहुत गरीबी और तंगहाली में व्यतीत किया है.
Munshi Premchand Biography in Hindi
उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से कुछ अधिक कहानियां, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें और हजारों पृष्ठ के लेख, सम्पादकीय, व्याख्यान, भूमिका, पत्र आदि की रचना की थी, लेकिन जो यश और प्रतिष्ठा उनसे उपन्यास और कहानी प्राप्त हुई.
उनकी रचना से लिए एक वाक्य आप को बताते है “हाड़ कपा देने वाली सर्दियों की रातो में खेतो की रखवाली की तखलीफ़ खेत जलजाने से कहीं ज्यादा थी किसानो के लिए इसलिए उस का जब खेत जल जाता है तो मुहँ से उसके निकलता है चलो अब रात को पहरेदारी तो नही करनी पड़ेगी”
आज भी न जाने कितने लोग है जो जिंदगी की तकलीफ के सामने हार जाते है और हाथ पर हाथ रख कर बेठ जाते है. इंसान के भीतर छुपे ऐसे गुण मनुभावो को करीब 100 साल पहले किसी फिल्म की तरह सामने रख देता था जिंदगी का वो चितेरा जिसे आप हम सभी कहते है “कलम का सिपाही” आइये विस्तार पूर्वक मुंशी प्रेमचंद के जीवन के बारे में जानते है.