music information in marathi
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One of semi-classical music forms of Maharashtra is " Natya Sangeet " which is a minor version of Musical Opera in western world. Natya Sangeet or Sangeet Natak has almost a 200-year-old tradition in Maharashtra.
Maharashtra has produced more than its fair share of Classical and popular musicians. Vishnu Digambar Paluskar, Bhimsen Joshi, Bal Gandharva, Kumar Gandharv, C R Vyas, Lata Mangeshkar, Asha Bhonsle, Ajay Pohankar, Kishori Amonkar, Vasantrao Deshpande, Jitendra Abhisheki, Shubham Bhatt and other luminaries.
It is also well known for Bollywood based music productions.
Music festivals in the area include Banganga Festival, the Pune Festival, Ellora Festival at Aurangabad, Sangeet Shankar Darbaar at Nanded, Sawai Gandharv Festival at Pune, Latur Festival .
One of semi-classical music forms of Maharashtra is " Natya Sangeet " which is a minor version of Musical Opera in western world. Natya Sangeet or Sangeet Natak has almost a 200-year-old tradition in Maharashtra.
Maharashtra has produced more than its fair share of Classical and popular musicians. Vishnu Digambar Paluskar, Bhimsen Joshi, Bal Gandharva, Kumar Gandharv, C R Vyas, Lata Mangeshkar, Asha Bhonsle, Ajay Pohankar, Kishori Amonkar, Vasantrao Deshpande, Jitendra Abhisheki, Shubham Bhatt and other luminaries.
It is also well known for Bollywood based music productions.
Music festivals in the area include Banganga Festival, the Pune Festival, Ellora Festival at Aurangabad, Sangeet Shankar Darbaar at Nanded, Sawai Gandharv Festival at Pune, Latur Festival .
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सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है।गायन, वादन व नृत्य ये तीनों ही संगीत हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गाना, बजाना और नाचना प्रायः इतने पुराने है जितना पुराना आदमी है। बजाने और बाजे की कला आदमी ने कुछ बाद में खोजी-सीखी हो, पर गाने और नाचने का आरंभ तो न केवल हज़ारों बल्कि लाखों वर्ष पहले उसने कर लिया होगा, इसमें संदेह नहीं।
गान मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बतलाना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गान ने व्यवस्थित रूप धारण किया। जब स्वर और लय व्यवस्थित रूप धारण करते हैं तब एक कला का प्रादुर्भाव होता है और इस कला को संगीत, म्यूजिक या मौसीकी कहते हैं।
गान मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बतलाना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गान ने व्यवस्थित रूप धारण किया। जब स्वर और लय व्यवस्थित रूप धारण करते हैं तब एक कला का प्रादुर्भाव होता है और इस कला को संगीत, म्यूजिक या मौसीकी कहते हैं।
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