Muskan shayari in hindimuahkuraht me kya firk hai aap khus ho ke muskurate ho mai muskura
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nhi aati mujhe ye poem bcz interest nhi hai.. xd
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तलाश जिंदगी की थी दूर तक निकल पड़े, जिंदगी मिली नही तज़ुर्बे बहुत मिले, किसी ने मुझसे कहा कि… तुम इतना ख़ुश कैसे रह लेते हो? तो मैंने कहा कि…. मैंने जिंदगी की गाड़ी से… वो साइड ग्लास ही हटा दिये… जिसमेँ पीछे छूटते रास्ते और.. बुराई करते लोग नजर आते थे..
Explanation:
आॅंखे बंद करके चलाना खंजर मुझ पे, कही तुम मुस्कुरा दिए तो हम बिना खंजर ही मर जायेंगे!
सारा जहां उसी का है, जो मुस्कुराना जानता है रोशनी भी उसी की है जो शमा जलाना जानता है हर जगह मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे है। लेकीन इश्वर तो उसीका है जो “सर” झुकाना जानता है
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