My favourite writer in hindi brief
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मेरा प्रिय लेखक पर हिंदी में निबंध Essay On My Favorite Writer In Hindi
साहित्य
प्रेमचंदजी लोकजीवन के कथाकार है। किसानों, हरिजनों और दलितों के जीवन पर उन्होंने अपनी कलम चलाई। किसानों के दुःख, उनके जीवन संघर्ष, उन पर होनेवाले जमीनदारों के जुल्म आदि को उन्होंने स्वाभाविक ढंग से पढ़े-लिखे समाज के सामने रखा। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय किसानों के अंधविश्वास, अशिक्षा, करुणा, प्रेम और सहानुभूति के भी वास्तविक चित्र प्रस्तुत किए। इस प्रकार प्रेमचंदजी का साहित्य भारत के ग्रामीण जीवन का दर्पण है
कहानियाँ और उपन्यास
प्रेमचंदजी की कहानियाँ बड़ी सरल, सरस और मार्मिक हैं। ‘कफन’, ‘बोध’, ‘ईदगाह’, ‘सुजान भगत’, ‘नमक का दारोगा’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘बड़े घर की बेटी’, ‘दूध का दाम ‘पूस की रात’ आदि अनेक कहानियों में प्रेमचंदजी की स्वाभाविक और रोचक शैली के दर्शन होते हैं। उनके उपन्यास भी बेजोड़ हैं। ‘गोदान’ तो किसानों के जीवन का महाकाव्य ही है। ‘गबन’ में मध्यम वर्ग के समाज का मार्मिक चित्र अंकित हुआ है। रंगभूमि’, ‘सेवासदन’, ‘निर्मला’ आदि उपन्यासों ने प्रेमचंदजी और उनकी कला को अमर बना दिया है। सचमुच, प्रेमचंदजी के साहित्य को पढ़ने से सद्गुणों और सुसंस्कारों का विकास होता है।
मेरे प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म वाराणसी के निकट लमही नामक गांव में 31 जुलाई 1880 में हुआ था उनके पिता का नाम अजायब राय और माता का नाम आनंदी देवी था प्रेमचंद जी का वास्तविक नाम धनपत राय था उन्हें नवाब राय के नाम से भी जाना जाता था इनका बचपन अभावों में बिता 10वीं परीक्षा पास कर के इन्होंने 12वीं की परीक्षा में असफल हो जाने पर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी विद्यार्थी जीवन में इनका विवाह हो गया था पत्नी के अनुकूल ना होने के कारण उन्होंने दूसरा विवाह किया था जिसका नाम शिवरानी देवी था मैट्रिक तक होने के बाद एक विद्यालय में अध्यापक हो गए थे उन्होंने स्वधाई रूप में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करके शिक्षा विभाग में डिप्टी इंस्पेक्टर हो गए थे। असहयोग आंदोलन प्रारंभ होने पर इन्होंने नौकरी छोड़ दी थी इसके बाद उन्होंने साहित्य जीवन में प्रवेश करने पर सर्वप्रथम मर्यादा पत्रिका के संपादक रहे फिर इन्होंने प्रेस खोली लंबी बीमारी के बाद सन 1936 ई. में इनका निधन हो गया।
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