My teacher told me to recite a hindi poem. Give me Topic for the poem.
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HINDI POEM :
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लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा....
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लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ में पथिक विश्राम कैसा
लक्ष्य है अति दूर दुर्गम मार्ग भी हम जानते हैं
किंतु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं
जब प्रगति का नाम जीवन, यह अकाल विश्राम कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा
धनुष से जो छूटता है बाण कब मग में ठहरता
देखते ही देखते वह लक्ष्य का ही भेद करता
लक्ष्य प्रेरित बाण हैं हम, ठहरने का काम कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा
बस वही है पथिक जो पथ पर निरंतर अग्रसर हो
हो सदा गतिशील जिसका लक्ष्य प्रतिक्षण निकटतर हो
हार बैठे जो डगर में पथिक उसका नाम कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा
कालिमा का नाश करती ज्योति जगमग जगत धरती
ज्योति के हम पुंज फिर हमको अमा से भीति कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा।
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लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा....
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लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ में पथिक विश्राम कैसा
लक्ष्य है अति दूर दुर्गम मार्ग भी हम जानते हैं
किंतु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं
जब प्रगति का नाम जीवन, यह अकाल विश्राम कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा
धनुष से जो छूटता है बाण कब मग में ठहरता
देखते ही देखते वह लक्ष्य का ही भेद करता
लक्ष्य प्रेरित बाण हैं हम, ठहरने का काम कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा
बस वही है पथिक जो पथ पर निरंतर अग्रसर हो
हो सदा गतिशील जिसका लक्ष्य प्रतिक्षण निकटतर हो
हार बैठे जो डगर में पथिक उसका नाम कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा
कालिमा का नाश करती ज्योति जगमग जगत धरती
ज्योति के हम पुंज फिर हमको अमा से भीति कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना पथ मे पथिक विश्राम कैसा।
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