n – पेन्टेन का क्वथनांक नियोपेन्टेन से ज्यादा है। कारण बताइये।
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=> अणु भार (आण्विक द्रव्यमान) बढ़ने पर ऐल्केनों के क्वथनांक भी बढ़ते हैं क्योंकि इससे अणु का आकार तथा पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ता है जिससे अंतराण्विक आकर्षण बल (वान्डरवाल बल) बढ़ते हैं। ऐल्केनों में शाखित श्रृंखलाओं की संख्या बढ़ने से अणु की आकृति लगभग गोलाकार हो जाती है, जिससे इन अणुओं का पृष्ठ क्षेत्रफल कम हो जाता है अतः इनमें दुर्बल अंतराण्विक बल पाए जाते हैं। इसलिए इनके क्वथनांक कम हो जाते हैं। इसी कारण n – पेन्टेन का क्वथनांक नियो पेन्टेन से ज्यादा है क्योंकि n – पेन्टेन एक सीधी श्रृंखला युक्त एल्केन है जबकि नियोपेन्टेन एक द्विशाखित एल्केन है।
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अणु भार (आण्विक द्रव्यमान) बढ़ने पर ऐल्केनों के क्वथनांक भी बढ़ते हैं क्योंकि इससे अणु का आकार तथा पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ता है जिससे अंतराण्विक आकर्षण बल (वान्डरवाल बल) बढ़ते हैं। ऐल्केनों में शाखित श्रृंखलाओं की संख्या बढ़ने से अणु की आकृति लगभग गोलाकार हो जाती है, जिससे इन अणुओं का पृष्ठ क्षेत्रफल कम हो जाता है अतः इनमें दुर्बल अंतराण्विक बल पाए जाते हैं। इसलिए इनके क्वथनांक कम हो जाते हैं। इसी कारण n – पेन्टेन का क्वथनांक नियो पेन्टेन से ज्यादा है क्योंकि n – पेन्टेन एक सीधी श्रृंखला युक्त एल्केन है जबकि नियोपेन्टेन एक द्विशाखित एल्केन है।