न 2. तंत्री-नाद, कवित्त-रस, सरस राग रति-रंग।
अन बूढे, बूढ़े तरे जे बूढ़े सब अंग।।
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तंत्री-नाद कबित्त-रस सरस राग रति-रंग। अनबूड़े बूड़े तरे जे बूड़े सब अंग॥617॥ तंत्री-नाद = वीणा की झंकार। रति-रंग = प्रेम का रंग।
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