Hindi, asked by malkhanspt, 6 hours ago

न-2पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लिखें।​

Answers

Answered by jot95086
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Ans

1. प्रस्तावना-

हमारे सौर मण्डल एवं धरती के चारों ओर के परिवेश को पर्यावरण कहते हैं। जो सभी जीव, प्रजाति के विकास, जीवन और मृत्यु को बुरी तरह से प्रभावित होता है। संसार में हर तरह के वस्तु प्रदूषण से ग्रस्त है। जिसमे हवा, पानी, मिट्टी जैसे सभी प्रदूषित होते हैं। इस कारण पर्यावरण प्रदूषण बहुत बड़ी समस्या बन गया हैंl

2. पर्यावरण प्रदूषण के कारण-

वैज्ञानिक ने पर्यावरण का अनुसन्धान करके कुछ कारण बताये हैं। उनमे यह मुख्य कारण हैं- जनसख्या का बढना, शहरीकरण, उद्योगों, परमाणु संयन्त्र, खनिज पदार्थों क दोहन, सडको का निर्माण, बांधो का निर्माण, वाहनों का चलना, कारखानों से निकले धुआ से आदि। गन्दा पानी नदियों, तालाबो में मिल जाने से प्रदूषित कर रहे हैं।

3. पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव-

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव बहुत ही हानिकारक है। आज कई असाध्य रोग ऐसे हैं जो दूषित पानी, दूषित हवा या दूषित गैसों के प्रभाव से जानलेवा बन गये हैं।2. पर्यावरण प्रदूषण के कारण-

वैज्ञानिक ने पर्यावरण का अनुसन्धान करके कुछ कारण बताये हैं। उनमे यह मुख्य कारण हैं- जनसख्या का बढना, शहरीकरण, उद्योगों, परमाणु संयन्त्र, खनिज पदार्थों क दोहन, सडको का निर्माण, बांधो का निर्माण, वाहनों का चलना, कारखानों से निकले धुआ से आदि। गन्दा पानी नदियों, तालाबो में मिल जाने से प्रदूषित कर रहे है।

Answered by ajitdhanshri1234
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Answer:

Explanation:

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनो में मिल जाते है। तो इसके कारण कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। प्रदूषण मुख्यतः मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते है और यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर इस पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। और प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है। ताकि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीवन रह सके।

प्रदूषण को रोकना बहुत अहम है। पर्यावरणीय प्रदूषण आज की बहुत बड़ी समस्या है, इसे यदि वक़्त पर नहीं रोका गया तो हमारा समूल नाश होने से कोई भी नहीं बचा सकता। पृथ्वी पर उपस्थित कोई भी प्राणी इसके प्रभाव से अछूता नहीं रह सकता। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी  आदि सभी का जीवन हमारे कारण खतरे में पड़ा है। इनके जीवन की रक्षा भी हमें ही करनी है। इनके अस्तित्व से ही हमारा अस्तित्व संभव है।

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