न-(3)नम्न
बत पाठत काव्याश को पढ़कर पूछ गए प्रश्न
मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी ?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अज़हूँ है छोटी
तू
जो कहति बल की बेनी ज़्यौं, हवै है लॉबी- मोटी
काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सी भुइं लोटी
काँचों दूध पियावत पचि-पचि, देति न माखन-रोटी
सूरज
चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी |
प्रश्न-1. उक्त पद्यांश के लेखक है ?
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न-(3)नम्न
बत पाठत काव्याश को पढ़कर पूछ गए प्रश्न
मैया, कबहिं बढ़ेगी चोटी ?
किती बार मोहिं दूध पियत भई, यह अज़हूँ है छोटी
तू
जो कहति बल की बेनी ज़्यौं, हवै है लॉबी- मोटी
काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सी भुइं लोटी
काँचों दूध पियावत पचि-पचि, देति न माखन-रोटी
सूरज
चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी |
प्रश्न-1. उक्त पद्यांश के लेखक है ?
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