न-4 कवयित्री फूल के माध्यम से संसार और जीवन के किस
कटु सत्य का उद्घाटन करती है?
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कवयित्री फूल के माध्यम से संसार और जीवन के किस कटु सत्य का उद्घाटन करती है?
➲ कवियत्री ने फूल के माध्यम से संसार और जीवन के उस कटु सत्य का उद्घाटन किया है. जिसमें सुख में तो सब साथ देते हैं, लेकिन दुख में सब साथ छोड़ देते हैं।
जिस तरह खिले हुए फूल को देखकर सभी उसकी ओर आकर्षित होते हैं। खिले हुए फूल के साथ पवन खेल खेलता है और उसे हँसाता है। उसका पँखा बनकर कर उसे सुलाने की कोशिश करता है। चंद्रमा अपनी रोशनी से हँसाता है तो उसकी बूंदें भी अपने मुक्त जाल से फूलों का श्रंगार कर देती हैं। भौंरे उस फूल का मधुर पान करने हेतु उसके चारों ओर मँडराने लगते हैं। माली प्यार से उसकी देखभाल करता है। सभी मनुष्य फूल की ओर आकर्षित होते हैं। यह सुख अवस्था का प्रतीक है।
जब वही फूल मुरझा जाता है तो उसे कोई देखना नहीं चाहता। जो पवन उसे अपनी गोद में खिलाया करता था, अब वही पवन फूल के मुरझा जाने पर अपने तेज झोंकों से उसे जमीन पर गिरा देता है। जिस वृक्ष पर वह फूल खिला था, वह वृक्ष भी उसके जाने का गम नहीं करता। भौंरे भी अब उस फूल के पास नहीं आते। मनुष्य जो उस फूल को की सुंदरता की ओर आकर्षित होते थे वह भी अब से कन्नी काटने लगते हैं।
इस तरह उस खिले हुए फूल को मुरझाए हुए फूल को कोई नहीं अपनाना चाहता। संसार और जीवन में भी ऐसा ही होता है, जब तक आपके पास सुख है, सुविधा है, सुंदरता है, तब तक सब आप को पूछते हैं, लेकिन जब आपके पास कुछ नहीं रहता, आपके पास दुख है तो कोई सब आपका साथ छोड़ देते हैं।
कवियत्री ने यह कहने की चेष्टा की है कि इस संसार में भगवान ने सभी को स्वार्थी बनाया है, सब एक दूसरे के साथ स्वार्थ से ही जुड़े हुए हैं।
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