न-6 'भूख मीठी कि भोजन मीठा' से क्या अभिप्राय है?
(क) भूख भोजन के स्वाद को नहीं देखती।
(ख) जिसने पीड़ा नहीं भोगी वह पराई पीड़ा को नहीं जानता।
(ग) आवश्यकता अविष्कार की जननी है।
(घ) भूख में मिठास नहीं होती भोजन ही मीठा होता है।
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को भूख न हो तो उसे कुछ भी स्वादिष्ट भोजन या खाने की वस्तु दे दी जाए तो वह उसमें नुक्स निकाल ही देता है। परन्तु भूख लगने पर साधारण खाना या बासी खाना भी उसे स्वादिष्ट व मीठा लगेगा। इसलिए बुजुर्गों ने कहा है- भूख मीठी की भोजन मीठा। अर्थात् भूख स्वयं में ही मिठास होती है जो भोजन में भी मिठास उत्पन्न कर देती है।
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first option is correct
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