न-7. एक वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का व्यंजक निगमित कीजिए।
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Explanation:
जब किसी वृत्ताकार कुंडली में धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। वृत्ताकार कुंडली के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक समान होता है। हमें कुंडली के केंद्र O पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान ज्ञात करना है। यदि कुण्डली कागज के तल में स्थित है तो उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा कागज के तल के लम्बवत होगी। यदि धारा दक्षिणावर्त दिशा में प्रवाहित है तो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कागज के लम्बवत नीचे की ओर होगी तथा यदि धारा वामावर्त दिशा में प्रवाहित होती है तो चुम्बकीय क्षेत्र कागज के तल के लम्बवत ऊपर की ओर होगा।
कुंडली की त्रिज्या माना कि r है। केंद्र O पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करने के लिए पहले एक वृत्ताकार लूप पर विचार करते है। पूरी परिधि को अनेक अल्पांशो में बाँट लेते है तथा प्रत्येक के कारण O पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र को जोड़कर पूरे लूप के कारण O पर चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात कर लेते है।
dl लम्बाई के एक अल्पांश ab के कारण O पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
dB = (u0/4π)I.dl.sinθ/r2
अल्पांश के मध्य बिंदु पर खिंची गयी स्पर्श रेखा त्रिज्या r के साथ 90 डिग्री का कोण बनाती है अत:
dB = (u0/4π)I.dl.sin90/r2
dB = (u0/4π)I.dl/r2
अत: पूरे लूप के कारण O पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B = (u0/4π)2πI/r
या
B = (u0I/2r)
यदि लूप के स्थान पर N फेरों वाली कुंडली है तो उसके केंद्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B = B = (u0I.N/2r)
B = (u0/4π)2πI.N/r