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(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए।
(i) अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय अधीर हो गया।
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निम्न पंक्ति का भाव यह है कि जब भी कोई व्यक्ति दूसरे से अपनी वस्तु की आप ने प्रशंसा सुनता है तो उसका ही दिया, तूने नहीं सुनाता है। वह बहुत खुश हो जाता है। परंतु जब किसी दूसरे की बात की प्रशंसा सुनता है तो उसे जलन होती है।
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