ने अपने झील में से एक तावाज़ निकालकर राजा का दि
। बोले, “हे साधु, इस तावीज़ के विषय में मुझे विस
ओ। इससे आदमी सदाचारी कैसे हो जाता है?"
ने समझाया, “महाराज, भ्रष्टाचार और सदाचार मनुष्य
आत्मा में होता है, बाहर से नहीं होता। विधाता जब
[ को बनाता है तब किसी की आत्मा में ईमान की
फिट कर देता है और किसी की आत्मा में बेईमानी
स कला में से ईमान या बेईमानी के स्वर निकलते
न्हें ‘आत्मा की पुकार' कहते हैं। आत्मा की पुकार
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OK it's good but say me is this a question
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