(ङ) बालकों के हँसने पर कवि को कैसा प्रतीत होता है?
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कवि बच्चों को काम पर जाते देख बहुत आहत है। यह हमारे समाज के और हमारी सरकार के लिए कलंक की बात है। हमारे समाज का क्या कोई दायित्व नहीं हैं। यदि हमारे बच्चे काम पर जाएँ तो यह हमारे लिए धिक्कार की बात है।
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