न बारिश होने पर निबंध लेखन लिखिए।
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न बारिश होने ...
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वहाँ ठंडी हवा के संपर्क से वह बादल बन जाता है। जब यह बादल और ठंडा हो जाता है तो वह आकाश में नहीं रह पाता है और धरती के गुरुत्व के कारण वर्षा के रूप में धरा पर गिरता है। ... यदि वर्षा न होती तो हमारी जलवायु शुष्क हो जाती। हम बरसात के मौसम और उसके आनंद से वंचित रह जाते.
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जब धरती पर बादलों से असंख्य बूँदें गिरती हैं तो उसे वर्षा कहते हैं। सूरज की गर्मी से समुद्र, सागर, नदी, झील आदि का पानी वाष्प बनकर ऊपर उठता है। वहाँ ठंडी हवा के संपर्क से वह बादल बन जाता है। जब यह बादल और ठंडा हो जाता है तो वह आकाश में नहीं रह पाता है और धरती के गुरुत्व के कारण वर्षा के रूप में धरा पर गिरता है।
यदि वर्षा न होती तो हमारे अनेक काम संपूर्ण नहीं होते। वर्षा उपज के लिए अत्यंत आवश्यक है। उसके बिना हमारे खेत सूखे पड़े रह जाते और मिट्टी उपजाऊ नहीं होती। किसानों के लिए वर्षा अत्यंत उपयोगी है। वे खेती के काम के लिए वर्षा का इंतज़ार करते हैं।
यदि वर्षा न होती तो हमारी जलवायु शुष्क हो जाती। हम बरसात के मौसम और उसके आनंद से वंचित रह जाते। अनेक पशु पक्षियों को जल न मिलता। मोर जो काले बादल देखकर खुश होता है और नाचता है वह कभी न नाचता।
सुंदर बगिया और रंग बिरंगे फूल देखने को नहीं मिलते। नदियों में पानी कम हो जाता। विद्युत् उत्पन्न करने एवं अन्य उद्योगिक कामों के लिए वर्षा का जल न प्राप्त होता। वर्षा से हमारा जीवन हरा भरा है। उसके बिना धरती मरुस्थल बन जाती।